पटना : बिहार में हत्या का दौर शुरू हो चुका है| असली देशी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन यादव ने सीएम नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके कुर्सी मोह के कारण पूरा बिहार एक बार फिर अपराधियों के गिरफ्त में है. एक तरफ वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण लोग दहशत में हैं, वही दूसरी तरफ निरंतर हो रहे आपराधिक वारदातों से लोग डरे-सहमे हुए हैं. सियासी समीकरण बिठाने में जुटे नीतीश कुमार के अधिकारी बेलगाम हो गये हैं. कोरोना काल में भी पूरे बिहार में भ्रष्टाचार चरम पर है और राहत पहुंचाने के नाम पर सरकारी खजाने में लूटपाट मचा हुआ है. उन्होंने कहा कि शासन प्रशासन पर से सरकार का नियंत्रण पूरी तरह से खत्म हो गया है और अब नीतीश का सुशासन राज सवालों के घेरे में है. सवालिया लहजे में श्री यादव ने पूछा है कि किसके इशारे पर गोपालगंज ट्रिपल मर्डर केस में जेडीयू के विधायक अमरेंद्र कुमार पांडे उर्फ पप्पू पांडे को बचाया जा रहा है? जेडीयू विधायक को कस्टडी में लेकर पूछताछ करने से स्थानीय पुलिस क्यों डर रही है? कहाँ गये, नीतीश कुमार का सुशासन राज और न्याय के साथ विकास करने के दावे? नीतीश कुमार कहते हैं कि न हम किसी को फंसाते हैं और न बचाते हैं तो जेडीयू विधायक अभी तक पुलिस की पकड़ से क्यों दूर हैं?
एडीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में सुशासन नही बल्कि अपराधियों का स्वशासन है. चुनावी आहट होते ही जिस तेजी से बिहार में आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है, उससे न सिर्फ बिहार के लोग भयाक्रांत हैं बल्कि इससे बिहार की छवि एक बार फिर पूरे देश में धूमिल होने लगी है. आए दिन राज्य में दिन-दहाड़े हत्याएं हो रही हैं। महिलाओं के खिलाफ हिंसा में काफी तेजी आई है। निरंतर हो रहे आपराधिक घटनाओं से लोग डर के माहौल में जीने को विवश हैं। लेकिन राज्य सरकार की तरफ से आपराधिक वारदातों पर काबू पाने की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह के अंदर गोपालगंज ट्रिपल मर्डर के बाद मोकामा के घोसवरी थाना क्षेत्र में दो महादलित युवकों की ईट-पत्थर से सिर कूचकर हत्या कर दी गई। इससे पूरे बिहार में उबाल और जनमन में आक्रोश है|
श्री यादव ने कहा कि जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष के नेता हुआ करते थे तब लालू-राबड़ी राज में होने वाले अपराध की घटनाओं पर उनकी कड़ी प्रतिक्रिया हुआ करती थी। सत्ता हासिल करने के लिए बिहार की जनता को सुशासन का जो सपना उन्होंने दिखाया था, उसमें अपराध नियंत्रण भी मुख्य मुद्दा था। आखिर उस वादे का क्या हुआ? आखिर कानून-व्यवस्था की स्थिति सुधारने के लिए वे किस चीज का इंतजार कर रहे हैं? निश्चित रूप से, इस पूरी स्थिति ने उनके चेहरे की चमक छीन ली है और देश के असफल नेताओं-प्रशासकों की सूची के शीर्ष स्थान में शामिल होने की ओर अब अग्रसर हैं बिहार में काम के नाम पर अधिकारी सिर्फ कागजों पर आंकड़ों की बाजीगरी कर सत्ता भोग में लिप्त नेताओं को गुमराह करने में जुटे हैं इसकी एक बानगी यही है कि गत वर्ष से तुलनात्मक अध्ययन करते हुए पुलिस मुख्यालय ने 1 अप्रैल से 15 अप्रैल 2020 के बीच संज्ञेय अपराध की घटनाओं में 26 प्रतिशत, डकैती के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी,प्रतिशत,प्रतिशत हत्या की घटनाओं में 26 प्रतिशत की कमी, लूट की घटनाओं में 72 प्रतिशत, गृह भेदन में 44 प्रतिशत, चोरी में 68 प्रतिशत, महिला उत्पीड़न में भी 66 प्रतिशत, दुष्कर्म की घटनाओं में 56 प्रतिशत, सामान्य अपहरण की घटनाओं में 81 प्रतिशत तथा सड़क दुर्घटना की घटना में 66 प्रतिशत की कमी होने की बात कही गयी है. जो हास्यास्पद है|