नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज कोयला खदान आवंटन मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राहत दी है. कोर्ट ने निचली अदालत के द्वारा जारी समन पर रोक लगा दी है. अब सिंह को कोर्ट में पेश नहीं होना पड़ेगा. इससे पहले कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल ,एएम सिंघवी ,केटीएस तुलसी और अश्विनी कुमार कोर्ट पहुंचे और मनमोहन सिंह का पक्ष रखा. आपको बता दें कि विशेष अदालत ने 2005 में ओडिशा में तालाबीरा-दो कोयला खदान का आबंटन आदित्य बिडला समूह की कंपनी हिण्डालको को करने से संबंधित मामले में उन्हें तलब किया था जिसके खिलाफ मनमोहन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 2005 में कोयला मंत्रालय का प्रभार तात्कालीन पीएम के पास ही था. इस संबंध में वकील अश्विन कुमार ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की याचिका स्वीकार कर ली है. कोर्ट ने कहा कि मामले में जबतक सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं सुनाती तबतक मनमोहन सिंह को मामले में आरोपी के रुप में पेश नहीं होना पड़ेगा. मुख्य कानूनी मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनायेगी. सिंह के साथ अन्य लोगों की याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ली है. मामले की सुनवाई करीब आधे घंटे चली. सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाला मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर भी रोक लगाई और सीबीआइ को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने अलग से दाखिल उस आग्रह पर केंद्र को नोटिस भी जारी किया जिसमें भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है. मनमोहन सिंह की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री के पास पूर्ण शक्तियां होती हैं और उनके प्रशासनिक फैसलों को गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता है. मनमोहन सिंह ने मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी के अभाव का मुद्दा भी उठाया. विशेष अदालत ने भेजा था पूर्व पीएम को समन विशेष अदालत ने 2005 में ओडीशा में तालाबीरा-दो कोयला खदान का आबंटन आदित्य बिडला समूह की कंपनी हिण्डालको को करने से संबंधित मामले में मनमोहन सिंह को तलब किया था. इस मामले में हिण्डालको के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिडला और पूर्व कोयला सचिव पी सी पारिख को भी समन जारी किया गया था जिसको उन्होंने चुनौती देते हुये सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. अपनी याचिका में मनमोहन सिंह और अन्य ने सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश भरत पराशर द्वारा आठ अप्रैल को आरोपी के रुप में पेशी के लिये उनके नाम जारी समन निरस्त करने का अनुरोध किया था. सिंह ने ऐसा कोई काम नहीं किया जो अपराध हो वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के नेतृत्व में वकीलों के दल ने मनमोहन सिंह की याचिका को अंतिम रुप दिया था. शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने से जुडे वकीलों में से एक वकील ने कहा था कि याचिका में समन जारी करने के आदेश को कई आधार पर चुनौती दी गयी है. याचिका में यह भी कहा गया है कि रिकार्ड में ऐसा कुछ नहीं है जिससे यह पता चलता हो कि सिंह ने ऐसा कोई काम किया है जो अपराध हो.