लूट योजना बनकर रह जायेगी प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना : मुकेश सहनी

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

पटना : विकासशील इंसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी ने आज प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री के द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए उद्घाटित “प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना" लूट योजना बन कर रह जायेगी। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री भारत सरकार निर्मला सीतारमण के द्वारा दो माह पहले लोकलुभावन बीस लाख करोड़ के बजट की घोषणा हुई थी। पूरे भारत में मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए 20,050 करोड़ रूपये निवेश का घोषणा हुआ है, जिसमें बिहार राज्य को मात्र 107 करोड़ राशि दिया गया है। मगर, 107 करोड़ में से एक रूपया भी निषाद समाज को नहीं मिला, क्योंकि मत्स्यजीवी सहयोग समिति के द्वारा कोई योजना लागू नही होगा। बिहार में एक साजिश के तहत परम्परागत मछुआरों की सूची जारी नही किया गया है।

सहनी ने कहा कि परम्परागत मछुआरा समाज (निषाद समाज) को प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का कोई लाभ प्राप्त नही हो पाएगा। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के नाम पर गैर मछुआरों को लाभ पहुचाने की योजना है। मत्स्य क्षेत्र की सारी योजनाए गैर मछुआरों को मजबूत करने के दृष्टिकोण से बनाए जा रहे । फिश फीड मिल भी गैर मछुआरों को ही दिया गया है। 150 से अधिक मत्स्यजीवी सहयोग समितियों पर गैर मछुआरों का कब्जा बरकार है उस पर सरकार के द्वारा कोई भी यथोचित कारवाई नही किया जा रहा है।

सहनी ने कहा कि बिहार सरकार ने कानून बनाकर अपने ही कानून का उल्लंघन कर रहा है। फिश ऑन व्हील्स स्कीम में एक भी निषाद समाज को शामिल नही किया गया है, जलजीवन हरियाली के नाम लूट खसोट जारी है, तालाब अतिक्रमण मुक्त नहीं हो पाया है। सिर्फ घोषणा होकर रह गया उदाहरण स्वरूप राजधानी के सम्पतचक प्रखंड/विभाग मंत्री के मंत्री प्रेम कुमार के घोषणा होने के बावजूद भी मछुआरों का बीमा कार्य प्रारंभ नही हुआ जो अपने आप में हास्यास्पद है। अगर सरकार सही मंशा से सिर्फ बिहार राज्य का 76 हजार तालाबों को ही सही से सफल संचालन/मत्स्यपालन करवा देता तो आज दूसरे राज्यों से बिहार राज्य में मछली आने की नौबत नही रहती है।

उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार सिर्फ निषाद समाज के सभी उपजातियों को धोखा देने का काम कर रही है। मत्स्यजीवी सहयोग समितियों के निर्वाचित अध्यक्ष, मंत्री एवं सदस्यों से सिर्फ राजस्व वसूल करती है। उनके सर्वांगीण विकास हेतु कोई योजना नही बनाती है। लोकलुभावन चुनावी घोषणा से निषाद समाज दिगभ्रमित होने वाला नही है। निषाद समाज की सभी उपजातियां आज चट्टानी एकता के साथ खड़ा है। 

 


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