Thursday, 26 December 2024, 10:28:58 pm

क्या है प्यार की कहानी

रिपोर्ट: साभारः

एक लोककथा है- एक द्वीप पर सभी भावनाएं साथ-साथ रहती थीं। एक दिन समुद्र में तूफान आया और वह द्वीप डूबने लगा। सभी भावनाएं डर गईं। ′प्यार′ ने वहां से निकलने के लिए एक नाव तैयार की। सारी भावनाओं को राहत मिलीं। वे सब उस नाव पर आ गईं, लेकिन अहंकार नहीं आया। ′प्यार′ उसको लेने के लिए नाव से उतर गया। प्यार मनाता रहा, अहंकार अपनी जिद पर अड़ा रहा। उधर द्वीप पर पानी बढ़ता रहा। जब पानी और बढ़ गया, तो सारी भावनाएं नाव को लेकर चली गईं, लेकिन उधर द्वीप पर प्यार ने भी अहंकार के साथ दम तोड़ दिया। ′प्यार′ मर गया केवल ′अहंकार′ के कारण। इसीलिए बड़े-बूढ़े कहते हैं, `अगर अपने अहंकार को जिंदा रखने की कोशिश करोगे, तो प्यार भी मर जाएगा और अगर प्यार को जिंदगी में जिंदा रख सको, तो समझ लो खिली-खिली-सी रहेगी जिंदगी।’ बात सिर्फ बड़ों के मानने की नहीं हैं। मनोवैज्ञानिक भी कहते हैं कि जिंदगी में जरूरी है प्यार। जर्मन मनोवैज्ञानिक कैरेन हॉर्नी स्वस्थ प्रेम को संयुक्त रूप से जिम्मेदारियां वहन करने और साथ-साथ कार्य करने का अवसर बताते हैं। उनके अनुसार प्रेम में निष्कपटता और दिल की गहराई बहुत जरूरी है। प्रेम की यह निष्कपटता सिर्फ पति-पत्नी के रिश्तों में या प्रेमी-प्रेमिका के बीच हो जरूरी नहीं। प्यार पर बात करते हुए सुप्रसिद्ध लेखिका अमृता प्रीतम याद आती हैं- `जिसके साथ होकर भी तुम अकेले रह सको, वही साथ करने योग्य है। जिसके साथ होकर भी तुम्हारा अकेलापन दूषित न हो। तुम्हारी तन्हाई, तुम्हारा एकान्त शुद्ध रहे। जो अकारण तुम्हारी तन्हाई में प्रवेश न करे। जो तुम्हारी सीमाओं का आदर करे। जो तुम्हारे एकान्त पर आक्रामक न हो। तुम बुलाओ तो पास आए। इतना ही पास आए, जितना तुम बुलाओ। और जब तुम अपने भीतर उतर जाओ तो तुम्हें अकेला छोड़ दे। कुछ मनोवैज्ञानिकों ने सच्चे प्यार की परिभाषा कुछ इस प्रकार दी है-`सच्चा प्‍यार किसी की परवाह करना होता है। किसी के प्रति आकर्षण होता है। किसी के प्रति लगाव होता है। एक जिम्‍मेदारी होती है। एक घनिष्ठ रिश्ता होता है। उधर मनोविज्ञानी रोबेर्ट स्टर्न्बर्ग ने इंसानों के बीच प्यार के त्रिभुजाकार सिद्धांत को सूत्रबद्ध किया था। उनका तर्क था कि प्यार के तीन भिन्न प्रकार के घटक हैं- आत्मीयता, प्रतिबद्धता और जोश। आत्मीयता वो तत्व है जिसमें दो मनुष्य अपने आत्मविश्वास और अपनी जिंदगी के व्यक्तिगत विवरण को बांटते हैं। ये ज्‍यादातर दोस्ती और रोमानी कार्य में देखने को मिलता है। प्रतिबद्धता एक उम्मीद है कि यह रिश्ता हमेशा के लिए कायम रहेगा। जोश यौन आकर्षण का प्रतीक है। प्यार की गहराई के बारे में मशहूर है कि नापने को तो हमने नाप ली है चांद तक की दूरी, लेकिन दो दिलों के बीच को नापने में सदियां बीत जाती हैं। वरिष्ठ कवि केदार नाथ सिंह की कविता याद आती है- `उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए मैंने सोचा दुनिया को हाथ की तरह गर्म और सुन्दर होना चाहिए।’ सच में प्यार तभी तक प्यार है जब तक उसकी शुद्धता, संवेगात्मक गहनता और विशालता कायम है। मनोवैज्ञानिक मैस्लो भी कहते हैं-`स्वस्थ प्रेम करने वाले एक-दूसरे की निजता स्वीकार करते हैं। आर्थिक या शैक्षणिक कमियों, शारीरिक या बाह्य कमियों की उन्हें चिन्ता नहीं होती जितनी व्यावहारिक गुणों की।’ प्यार एक ऐसा खूबसूरत एहसास है, जिसके बीच में उम्र, जाति, पैसा, पद और प्रतिष्ठा की कोई जगह नहीं होती। एक छोटी-सी कहानी बहुत पहले सुनी थी, हो सकता है आपने भी सुनी हो। फिर भी उसका जिक्र यहां जरूरी है। छोटी बहन ने अपने बड़े भाई से पूछा था-`भाई! ये प्रेम क्या होता है ?’ `तू रोज मेरे बैग से चॉकलेट निकाल कर खा जाती है। मुझे मालूम है, फिर भी मैं रोज वहीं चॉकलेट रखता हूं। बस यही प्यार है,’ भाई ने कहा था। बस...प्यार तो यही है, उसे स्मृतियों के गुल्लक में जमा करने की जरूरत है। छोटे-छोटे प्यार से मुकम्मल जिंदगी की एक तस्वीर बनती है। इस तस्वीर के कई रंग हैं। बस प्यार की एक मांग है, दूसरों को देने के लिए आपके पास कुछ होना चाहिए, वरना कुछ दिनों के बाद लगेगा कि आप खुद इस रिश्ते को लेकर गंभीर नहीं हैं। आपको अपने रिश्ते को कम-से-कम वक्त तो देना ही पड़ेगा। तभी खिलेगा आपके प्यार का रंग और तभी समाज की मुकम्मल तस्वीर भी बनेगी, क्योंकि किसी का प्यार गुलाब है। किसी का गिलहरी। कोई इंद्रधनुष का दीवाना है, तो कोई संगीत के सुरों में प्रेम तलाशता है। आसमान में उड़ते परिंदे, दाना चुगते कबूतर और घर के आंगन में मंडराते गौरेये भी हमारे प्यार के हिस्से हो सकते हैं, बशर्ते हम अपनी जिंदगी में प्यार को पहचान लें। इसके बाद जिंदगी में आएगी धूप और उम्मीदों का आसमान। छोटी बहन ने अपने बड़े भाई से पूछा था-`भाई! ये प्रेम क्या होता है?’ भाई ने कहा, `तू रोज मेरे बैग से चॉकलेट निकाल कर खा जाती है। मुझे मालूम है, फिर भी मैं रोज वहीं चॉकलेट रखता हूं। बस यही प्यार है।’


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