कई दिक्कतों के बाद मेरठ में ‘पुरुष’ ने जन्मे जुड़वां बच्चे

रिपोर्ट: साभारः

मेडिकल साइंस के क्षेत्र में डॉ. अंशु जिंदल और डॉ. सुनील जिंदल ने नया अध्याय लिखा है। अनुवांशिक रूप से पुरुष और शारीरिक रूप से महिला ने लंबे इलाज के बाद जुड़वा बच्चों (लड़का और लड़की) को जन्म दिया। डॉक्टर दंपति ने कहा कि मेडिकल साइंस के सामने यह एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि कई तरह की तकनीकी दिक्कतें थीं, लेकिन करीब ढाई से तीन साल के इलाज के बाद गुड़गांव निवासी ममता (बदला हुआ नाम) संतान सुख पाने में सफल रहीं। उधर, डॉ. सुनील जिंदल ने अपने इस मेडिकल शोध को यूरोप के लिस्बन में होने वाली यूरोपियन सोसायटी ऑफ ह्यूमन री-प्रोडेक्टिव एंड नेफ्रोलॉजी की सालाना बैठक में रखे जाने के लिए भेजा है। डॉ. जिंदल का कहना है कि ममता की शादी करीब सात पहले हुई थी, लेकिन उसे संतान नहीं हो रही थी। तमाम जगह का इलाज करने के बाद जब वह अपने पति के साथ आकर उनसे मिली तो महिला की जांच की गई। इसमें पता चला कि ममता अनुवांशिक रूप से पुरुष है, जबकि शारीरिक तौर पर वह महिला हैं। उनके अंदर क्रोमोसोम पुरुषों वाला (46 एक्सवाई) था, जबकि महिलाओं में क्रोमोसोम 46 एक्सएक्स होता है। हालांकि उनका गर्भाशय काफी छोटा है। इलाज के बाद ममता के गर्भाशय का साइज बढ़ाया गया। इसके बाद सेंटर ने किसी अन्य महिला के अंडे लिए। फिर उसके पति के शुक्राणुओं के साथ टेस्ट ट्यूब में भ्रूण तैयार किया। इस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया गया। दूसरे प्रयास में यह प्रयोग सफल रहा और वह मां बन सकी। डॉ. अंशु जिंदल का कहना है कि महिला के शरीर में वह सभी हार्मोंस भी नहीं बन रहे थे, जिसकी एक भ्रूण के निर्माण में आवश्यकता होती है। ऐसे में उसे बाकी सारे सप्लीमेंट बाहर से दिए गए और गर्भधारण के बाद नौ महीने तक कड़ी निगरानी में रखा गया। इसके बाद छह फरवरी को उसने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। डॉ. सुनील जिंदल ने बताया है कि ऐसे केस को गोनाइडल डिसजनरेसिस कहा जाता है। जब महिला के अंदर डीएनए और क्रोमोसोम पुरुष का पाया जाता है।


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