दोस्त ही वह सबसे बड़ी ताकत होती है, जिसके भरोसे आप बड़े से बड़ा जोखिम उठा सकते हैं। कुछ ऐसी ही दोस्ती की मिसाल बने सचिन बंसल और बिन्नी बंसल। आई.आई.टी. दिल्ली में पढ़ाई के दौरान हुई दोस्ती वास्तविक जीवन में भी उतनी ही सफल होगी, इन दोनों ने कभी सोचा नहीं था। एक दिन ऐसा आया, जब दोनों ने मिल कर अपनी एक नई कंपनी की शुरुआत कर दी और उसका नाम रखा ‘फ्लिपकार्ट’। ऑनलाइन किताबें बेचने से अपने कारोबार की शुरुआत करने वाली फ्लिपकार्ट आज तमाम तरह की चीजें बेच रही है। एक तय समय में उत्पाद की डिलीवरी करने वाली कंपनी लोगों को इतनी पसंद आई कि उसने एक बड़े ग्राहक समूह के बीच अपनी जगह बना ली। व्यवसाय ही नहीं, जीवन के किसी भी क्षेत्र में यदि आप सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो संबंध एक ऐसा स्त्रोत है, जिसे नजरअंदाज करके आप आगे नहीं बढ़ सकते, फिर चाहे वह संबंध पारिवारिक हो अथवा व्यावसायिक। संबंध ही वह तत्व है, जिसमें सफलता की बुनियाद टिकी होती है। और सफलता की इस बुनियाद का आधार होता है वह विश्वास, जो लगातार एक-दूसरे पर भरोसा करने से पैदा होता है। ऐसे ही संबंधों पर सोसाइटी ऑफ ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि किसी भी बड़े संस्थान में होने वाली 96 प्रतिशत नियुक्तियों की जांच-पड़ताल किसी न किसी के माध्यम से होती है और एक बार नियुक्ति हो जाने के बाद भी वे रेफरेन्सेज देखे जाते हैं, जिनके माध्यम से वे नियुक्तियां हुई हैं। इससे यह बात तो साफ जाहिर होती है कि एक बड़े पैमाने पर नियुक्ति का माध्यम किसी न किसी रूप में वे संबंध होते हैं, जो आप अपने जीवन में एक-दूसरे के साथ निर्मित करते हैं। इसके माध्यम से न सिर्फ आप ज्ञान प्राप्त करते हैं- मसलन गुरु, अपितु कभी-कभी उस बिजनेस की शुरुआत भी करते हैं, जिसका साझेदार आपका दोस्त होता है। यहां तक कि कॉरपोरेट जगत की मनचाही नौकरियां भी आज संबंधों के आधार पर ही मिलती हैं, जिनमें रेफरेन्सेज काम आते हैं। किसी से संबंध बनाने से क्या-क्या फायदे हो सकते हैं, उसकी एक झलक- जीवन का सर्वाधिक सुख संबंधों में ही निहित जीवन के सर्वाधिक सुख भरे दिन संबंधों में ही निहित हैं, यह बात किसी से छुपी नहीं है। यदि परिवार में सब कुछ सही चलता रहे तो आप को कोई परेशानी नहीं होती। साथ ही अपने किसी खास व्यक्ति की परेशानियों को देख आप भी परेशान हो जाते हैं। परिवार व्यक्ति की वह पहली पाठशाला होती है, जहां से एक व्यक्ति लड़ने और आगे बढ़ने के वे सारे गुण सीखता है, जिसके भरोसे वह दुनिया की जंग जीतने की बात करता है। कुछ समय पहले रिलीज हुई फिल्म तेवर फिल्म के निर्देशक का कहना है-‘यदि मेरी मां मेरे मुश्किल वक्त में साथ न देती तो मैं यहां तक न पहुंचता।’ जोखिम लेने में सहायक किसी से मजबूत संबंध हो तो उसका फायदा क्या हो सकता है! इसका सबसे बड़ा उदाहरण है- बेन कोहेन और जेरी ग्रीनफील्ड। इन्होंने जब बेन एंड जेरी नाम से आइसक्रीम लॉन्च की, तब उन्हें भी नहीं पता था कि उनके इस प्रोडक्ट की पहचान एक दिन दुनिया भर में हो जायेगी। 1978 में प्रारंभ की गई इस कंपनी का कुल टर्नओवर 200 बिलियन से ज्यादा है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आइसक्रीम कंपनी के मालिक बेन का कहना था- यदि मुझे जेरी नहीं मिलता तो मैं यह कंपनी कभी खोल ही नहीं सकता था। वहीं जेरी का कहना था-मेरे पुराने दिनों को बेन ने एक ऐसे फायदे में बदल दिया, जिसकी पहचान दुनिया की सुपर आइसक्रीम के नाम से हो गई। जरूरतों को पूरा करने में मददगार अंग्रेजी में एक कहावत है- ‘फ्रेंड इस नीड, फ्रेंड इंडीड’ अर्थात दोस्त वह है, जो जीवन के सबसे जरूरी क्षणों में आपके साथ खड़ा हो। मसलन दोस्त का संबंध एक ऐसा संबंध होता है, जिस पर आप भरोसा कर सकते हैं। सचिन बंसल को यदि बिन्नी जैसा दोस्त नहीं मिलता तो वे कभी फ्लिपकार्ट जैसी ऑनलाइन कंपनी शुरू करने की बात नहीं सोचते। यही बात बिन्नी के लिए भी लागू होती है। एक से भले दो जैसी कहावतों को चरितार्थ करने वाली दोस्ती का सबसे बड़ा फायदा यह होता है, इससे आपको जीवन की किसी भी परिस्थिति से लड़ने की ताकत मिलती है। फिर चाहे वह साथ-साथ पढ़ाई करके एक दूसरे की आगे निकलने की होड़ हो अथवा कोई भी ज्वॉइंट वेंचर शुरू करने की बात हो।