भारतीय क्रिकेट टीम पर हमेशा यह आरोप लगता रहता है कि वे घर के शेर हैं और बाहर जाकर उनकी सारी हेकड़ी गुम हो जाती है. भारतीय क्रिकेट टीम के रिकॉर्ड पर अगर नजर डालें, तो यह बात कुछ हद तक सही भी प्रतीत होती है, क्योंकि अक्सर जो बल्लेबाज और गेंदबाज भारतीय पिच पर कहर बरपाते नजर आते हैं, वही विदेशी धरती पर बुरी तरह से फ्लॉप हो जाते हैं. हालिया परफारर्मेंस पर अगर नजर डालें, तो जिस विराट कोहली की हम प्रशंसा करते नहीं थकते उसी विराट कोहली का बल्ला वर्ष की शुरुआत मेंआयोजित इंग्लैंड दौरे के दौरान बुरी तरह पिट गया था और उससे एक भी रन नहीं निकल रहे थे. परिणाम यह रहा कि भारत बुरी तरह से सीरिज हारकर वापस लौटी. आखिर क्यों भारतीय शेर विदेशी धरती पर सफल नहीं होते? यह सौ टके का सवाल है. विशेषज्ञों का मानना है कि टीम फास्ट पिच पर धराशायी हो जाती है और हमारी रणनीति फेल. मैच खेलते वक्त कप्तान जो नीतियां बनाता है, वह अकसर फेल हो जाती हैं. भारतीय क्रिकट टीम अभी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर है और पहला मैच भारत जीतते-जीतते हार गया. आखिर क्यों इस मैच को ऑस्ट्रेलिया हमारी गिरफ्त से निकाल ले गया. यह चंद ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब आजतक भारतीय क्रिकेट टीम और उसके प्रशंसक तलाश रहे हैं. 1947 से अबतक नौ बार भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गयी है और 11 बार ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत दौरे पर आयी है. भारत में जितनी भी टेस्ट श्रृंखलाएं खेलीं गयीं उनमें से छह भारत ने जीता, तीन ऑस्ट्रेलिया ने और दो मैच ड्रा रहा. जबकि ऑस्ट्रेलिया में भारत ने नौ टेस्ट श्रृंखलाएं खेलीं और उनमें से एक भी भारत जीत नहीं सका, हां तीन बार वह सीरिज ड्रा करने में जरूर सफल रहा था. अन्यथा अधिकतर सीरिज में ऑस्ट्रेलिया ने भारत का व्हाइट वॉश कर दिया था. जिन तीन सीरिज में भारत ने ड्रा खेला वह सीरिज वर्ष1980-81, 1985-86,2011-12 और 2003-2004 में खेला गया था. 1980-81 के दौरान भारतीय क्रिकेट का नेतृत्व सुनील गावस्कर ने किया था. इस श्रृंखला में तीन मैच खेले गये थे, जिनमें से एक-एक मैच दोनों टीम ने जीता था और एक मैच ड्रा खेला गया था. उस सीरिज में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ग्रेग चैपल थे.इस सीरिज में भारत की ओर से सर्वाधिक रन संदीप पाटिल ने बनाया था, जबकि ऑस्ट्रेलिया की ओर से ग्रेग चैपल ने. इस सीरिज के सफलतम बॉलर्स में भारत की ओर से कपिल देव और ऑस्ट्रेलिया की ओर से डेनिस लिली का नाम है. 1985-86 में आयोजित सीरिज का नेतृत्व भारत की ओर से कपिल देव और ऑस्ट्रेलिया की ओर से एलेन बॉर्डर ने किया था. इस टेस्ट सीरिज में तीन मैच खेले गये थे और तीनों ही ड्रा खेले गये थे. सर्वाधिक रन भारत की ओर से सुनील गावस्कर ने बनाया था, जबकि ऑस्ट्रेलिया की ओर से डेविड बून ने बनाया था. सर्वाधिक विकेट लेने वाले भारत की ओर शिवलाल यादव थे जबकि ऑस्ट्रलिया की ओर से ब्रूश रीड थे. अगर हम बात वर्ष 2003-04 की करें, तो इस सीरिज में भारत के कप्तान सौरव गांगुली थे और ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव वॉ थे. इस सीरिज में कुल चार मैच खेले गये थे, जिनमें से दो मैच ड्रा खेला गया था और एक-एक मैच दोनों टीमों ने जीता था. इस सीरिज में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी भारत की ओर से राहुल द्रविड़ थे, जबकि ऑस्ट्रेलिया की ओर से रिकी पोंटिंग थे. वर्ष 2011-12 में विश्वकप विजेता टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गयी थी. उस वक्त भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी थे, जबकि ऑस्ट्रेलियाई टीम का नेतृत्व माइकल क्लॉर्क कर रहे थे. भारत ने यहां चार मैच खेले थे और चारों ही मैच टीम हार गयी थी. महेंद्र सिंह धौनी ने तीन मैच में भारतीय टीम की कप्तानी की थी, चौथे मैच में वीरेंद्र सहवाग कप्तान थे. आंकड़ों पर अगर गौर करें, तो भारत ने मात्र सौरव गांगुली और सुनील गावस्कर के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया की धरती पर उसे हराने का दुस्साहस किया था. सुनील गावस्कर ने नेतृत्व में भारतीय टीम ने 7-11 फरवरी 1981 में मेलबॉर्न की धरती पर ऑस्ट्रेलिया को हराया था, जबकि सौरव गांगुली के नेतृत्व में 12-16 दिसंबर तक 2003 में एडीलेड ओवल में खेले गये मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को शिकस्त दी थी. यानी भारत की ओर से ऑस्ट्रेलिया में जीत दर्ज करने वाले कप्तान मात्र दो हैं सुनील गावस्कर और सौरव गांगुली. महेंद्र सिंह धौनी जिन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का सबसे सफल कप्तान माना जाता है, वे अभी तक ऑस्ट्रेलिया की धरती पर कोई करिश्मा नहीं कर पाये हैं. भारत के वर्तमान ऑस्ट्रेलिया दौरे में पहले मैच की कप्तानी विराट कोहली ने की है. भारत वह मैच जीतते-जीतते रह गया. अब महेंद्र सिंह धौनी ने टीम की कमान संभाली है. भारत को इस सीरिज में कुल चार मैच खेलने हैं और ऑस्ट्रेलिया 1-0 से आगे है, देखना यह है कि कैप्टन कूल क्या करिश्मा कर पायेंगे?