खेल डेस्क. एडिलेड ओवल मैदान पर 22 साल बाद फिर से टीम इंडिया जीत के करीब पहुंचकर हार गई। 25 जनवरी 1992 को मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में भी टीम इंडिया को ऐसी ही करीबी हार मिली थी, जैसी विराट कोहली एंड कंपनी को झेलनी पड़ी। तब हार का अंतर 38 रन था और अब 48 रन का है। इस हार ने टीम को एक तोहफा भी दिया है, विराट कोहली के रूप में एक आक्रामक कप्तान। एग्रेसिव एटीट्यूड जिस एटीट्यूड के साथ विराट ने टीम को लीड किया, वह काबिल-ए-तारीफ है। कोहली किसी भी मौके पर हताश नहीं दिखे। मैच की पहली गेंद से लेकर नतीजा आने तक उन्होंने अपने खिलाड़ियों में जीत की उम्मीद बरकरार रखी। इस एग्रेशन को देखने के लिए भारतीय फैन्स लंबे समय से तरस रहे थे। विराट ने एक बार फिर सौरव गांगुली और कपिल देव जैसे आक्रामक कप्तानों की याद ताजा कर फैन्स के दिल जीत लिए। कोहली ने एडिलेड में वही एग्रेशन दिखाया, जो कि एक समय सौरव गांगुली की कप्तानी में देखने को मिला था। टीम ने मैच जरूर गंवाया, लेकिन खिलाड़ी किसी भी पल हारे हुए नहीं नजर आए। यह हार वैसी नहीं थी, जैसी कि टीम को 2011-12 में हुए इंग्लैंड व ऑस्ट्रेलिया के टूर पर झेलनी पड़ी थी। तब टीम ने पहले ही सत्र से घुटने टेक दिए थे। खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज शुरुआत से लूजर वाली थी।