कांग्रेस की महत्वाकांक्षा और नखरे से तंग राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने सीटों के तालमेल और आखिरी दौर की बातचीत के लिए उसे तीन-चार दिनों का अल्टीमेटम दिया है। लालू ने साफ कहा है कि सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस हवा में दावा न करे। क्षेत्रीय दलों का सम्मान करते हुए हैसियत के हिसाब से बात करे। राजद प्रमुख ने अपना संदेश कांग्र्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तक पहुंचा दिया है।
अहमदाबाद में मंगलवार को कांग्रेस केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक है, जिसमें बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल गए हुए हैं। लालू को बताया गया है कि उसके बाद राजद एवं अन्य सहयोगी दलों के साथ बैठकर बिहार के मसले सुलझा लिए जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक राजद और कांग्रेस के लिए अगला दो-तीन दिन काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। बातचीत बनी तो ठीक नहीं तो दूसरे विकल्पों पर भी दोनों दल बढ़ सकते हैं। बिहार में पहले चरण में चार सीटों के लिए 18 मार्च से पर्चे भरे जाने हैं।
दरअसल, महागठबंधन में सीट बंटवारे के मसले पर पिछले ढाई महीने से घटक दलों में लगातार बातचीत हो रही है, लेकिन अभी तक समाधान नहीं निकल सका है। रांची में रिम्स अस्पताल में इलाज करा रहे लालू ने भी कई बार खुद पहल की है।
तेजस्वी यादव के भी दिल्ली के कई दौरे लग चुके हैं। प्रदेश के नेताओं से भी बात हो रही है। किंतु नतीजा आज भी वही है, जो ढाई महीने पहले था। चुनाव के एलान के बाद राजद अब बेसब्र हो रहा है। राजग में सीटों की हिस्सेदारी तय हो जाने के कारण भी लालू पर दबाव बढ़ रहा है। महागठबंधन के छोटे घटक दल भी लालू पर दबाव बढ़ा रहे हैं।
राजद को सबसे ज्यादा कांग्रेस के बॉरो प्लेयर से दिक्कत हो रही है। दूसरे दलों से बुलाकर कांग्रेस ने राजद के मजबूत आधार वाली सीटों पर दावेदारी ठोंक रखी है। ऐसी सीटों में दरभंगा, मुंगेर, जहानाबाद, मोतिहारी, शिवहर, मधेपुरा, पूर्णिया और नवादा प्रमुख रूप से शामिल हैं।
राजद का मानना है कि उक्त सभी सीटें राजद की परंपरागत रही हैं। तालमेल में इन्हें दूसरे दलों को देने का मतलब अपने आधार से समझौता करना है। बातचीत के टेबल पर कांग्रेस कीर्ति झा आजाद, राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, अनंत सिंह, अरुण कुमार, लवली आनंद, उदय सिंह उर्फ पप्पू समेत वैसे प्रत्याशियों की सूची थमा देती है, जिन्हें दूसरे दलों से टिकट देने के लिए बुलाया गया है। लालू इसके लिए कतई तैयार नहीं हैं।
उन्होंने बॉरो प्लेयर को साइड करके बात करने की सलाह दी है। राजद का मानना है कि कांग्रेस की देखादेखी रालोसपा भी कुछ वैसी सीटों के लिए मचल रही है, जहां राजद का बढिय़ा आधार है। ऐसी सीटों में मोतिहारी और उजियारपुर शामिल हैं।