नई दिल्ली: अनुसूचित जाति व जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 20 मार्च को दिये गये आदेश को लेकर देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच सर्वोच्च न्यायालय ने SC-ST एक्ट पर अपना फैसला बदलने से इनकार किया है| दायर की गयी पुनर्विचार याचिका में केंद्र सरकार ने पुरानी व्यवस्था को बहाल करने की गुहार लगाई है। अदालत ने सभी पार्टियों से दो दिनों के भीतर जवाब मांगते हुए कहा है कि दस दिनों बाद मामले की पुनः सुनावाई होगी। इस मामले में कोर्ट की तरफ से इससे पहले अटॉर्नी जनरल की जिरह सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कानून के खिलाफ नहीं है लेकिन चाहते हैं कि निर्दोषों को सजा नहीं मिले।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SC-ST एक्ट के तहत जो व्यक्ति शिकायत कर रहा है, उसे तुरंत मुआवजा मिलना चाहिए। इस मामले की सुनवाई जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने की। कोर्ट ने इस मामले में सभी पार्टियों से अगले दो दिनों में विस्तृत जवाब देने को कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 दिन बाद होगी।
इससे पहले पुनर्विचार याचिका में सरकार ने कहा कि अदालत का हालिया आदेश एससी व एसटी समुदाय के लोगों के मौलिक अधिकार के विपरीत है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई ओपन कोर्ट में होनी चाहिए और सरकार को मौखिक पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए। मालूम हो कि पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई आमतौर पर जज चैंबर में होती है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट 1989 में सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाने का फैसला किया था। कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी की जगह शुरुआती जांच हो। केस दर्ज करने से पहले डीएसपी स्तर का अधिकारी पूरे मामले की प्रारंभिक जांच करेगा और साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि कुछ मामलों में आरोपी को अग्रिम जमानत भी मिल सकती है। दलितों की मांग है कि कानून में इस बदलाव को वापस लिया जाए।