नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि राजनीतिक दलों को चंदा देने की पूरी प्रक्रिया को साफ-सुथरा बनाने के लिए बजट में घोषित 'चुनाव बांड ' प्रणाली को लेकर सरकार पूरी सक्रियता के साथ काम कर रही है लेकिन अभी तक कोई भी राजनीतिक दल इस बारे में सुझाव देने के लिए आगे नहीं आया है. उन्होंने कहा कि पिछले 70 साल के दौरान भारत के लोकतंत्र में अदृश्य स्रोतों से धन आता रहा है तथा निर्वाचित प्रतिनिधि, सरकारें, राजनीतिक दल, संसद और यहां तक कि चुनाव आयोग भी इसका पता लगाने में पूरी तरह से असफल रहे हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजनीतिक चंदा देने के मामले में पारदर्शिता लाने के ध्येय से इस साल के बजट में राजनीतिक दलों को नकद राशि के रूप में चंदा देने की सीमा 2,000 रुपये तय कर दी और बड़ी राशि का चंदा देने के लिए चुनाव बांड शुरू करने की घोषणा की. जेटली ने यहां दिल्ली इकोनोमिक कन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए कहा, ' 'मैंने राजनीतिक दलों से लिखित में और संसद में मौखिक तौर पर दोनों तरह से बेहतर सुझाव देने को कहा, लेकिन अब तक एक भी राजनीतिक दल इस बारे में सुझाव देने के लिए आगे नहीं आया क्योंकि लोग मौजूदा प्रणाली के साथ ही पूरी तरह से संतुष्ट लगते हैं. ' ' वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले 70 साल के दौरान राजनीतिक तंत्र में आने वाले अदृश्य धन का पता लगाने में हम असफल रहे हैं और अब जब कोई समाधान सुझाया जा रहा है तो उसमें खामियां निकालना, उसका कोई हल नहीं है. उन्होंने कहा, ' 'यही वजह है कि इस साल के बजट में मैंने एक समाधान पेश किया है और हम इस पर पूरी सक्रियता के साथ काम कर रहे हैं. ' ' बजट में घोषित चुनाव बांड प्रक्रिया के तहत ये बांड एक प्रकार के वचन पूरा करने वाले बांड होंगे. इन बांड में किसी तरह का ब्याज नहीं दिया जायेगा. प्राधिकृत बैंकों के जरिये इन बांड की बिक्री की जायेगी और इन्हें इनकी वैधता सीमा के भीतर संबंधित राजनीतिक दल के अधिसूचित खाते में जमा कराना होगा. इस प्रक्रिया में बांड में उसके दानदाता का नाम नहीं होगा. बस फर्क केवल इतना होगा कि यह धन बैंकिंग तंत्र के जरिये राजनीतिक दलों को पहुंचेगा. इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि राजनीतिक प्रणाली में केवल वही धन पहुंचे जिस पर कर का भुगतान कर दिया गया हो. जेटली ने कहा कि जब हम नकद लेनदेन के इस मुद्दे के बारे में बात करते हैं तो यह केवल कारोबार और उसमें व्याप्त खामियों से ही नहीं जुड़ा है बल्कि इसमें यह भी मुद्दा है कि अब राजनीतिक प्रणाली में किस प्रकार से धन पहुंचेगा. उन्होंने उम्मीद जतायी कि भविष्य में यह काम अधिक पारदर्शी और साफ-सुथरे तरीके से किया जायेगा. इसी साल मार्च में एक चर्चा के दौरान जेटली ने चुनाव चंदे को अधिक पारदर्शी और स्वच्छ बनाने के बारे में राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे थे. तब उन्होंने कहा था, ' 'मेरा सभी को खुला निमंत्रण है, कृपया मुझे बेहतर सुझाव दें जिसमें जितना संभव हो सके पारदर्शिता हो और साफ-सुथरा धन इसमें आये. मुझे अभी तक कोई सुझाव नहीं मिला है. ' '