पटना 23 जुलाई : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद में डीजल अनुदान का किसानों के बेंक खाते में ऑनलाईन अंतरण कार्यक्रम का माउस के जरिए शुभारंभ किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे कल ही इस कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए कहा गया था। खुशी इस बात की है कि इतने कम समय में आज एक नई प्रक्रिया की शुरुआत कर किसानों के बैंक खाते में डीजल अनुदान का पैसा डायरेक्ट हस्तांतरण के द्वारा अब होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले 4 जिलों में सब्जी की जैविक खेती के लिए पायलट प्रोजेक्ट योजना की शुरुआत की गई, जिसे बाद में अन्य जिलों में भी अन्य फसलों के लिए भी लागू करने की योजना है। हमारी यह कोशिश है कि किसानों की लागत मूल्य में कमी आए, आपदाओं के समय किसान संकट से जुझता है अतः सरकार किसानों के हर संभव सहायता के लिए तत्पर है। पहले से ही फसल सहायता योजना के तहत सरकार किसानों को सहायता उपलब्ध करा रही है। आज नई तकनीक का चयन किया गया है जिसके द्वारा रजिस्टर्ड किसान का बैंक खाते में डीजल अनुदान का पैसा बैंक खाते में हस्तांतरित हो जाएगा। अभी 1100 किसानों के खाते में ट्रांसफर हुआ है। जैसा कि उपमुख्यमंत्री ने सुझाव दिया है कि किसानों का रजिस्ट्रेशन एक बार हो जाए जिसका लाभ अन्य योजनाओं का भी मिल सके इससे मैं सहमत हूं। पहले किसानों को डीजल अनुदान का लाभ लेने के लिए जहां तीन महीने का समय लगता था अब किसानों को ऑनलाईन प्रक्रिया से अधिक से अधिक 25 दिनों में डीजल अनुदान की राशि बैंक खातों में पहुंच जाएगी। इसके बारे में विस्तार से प्रधान सचिव कृषि ने बताया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिले के कृषि पदाधिकारी, प्रखंड के कृषि समन्वयक, कृषि सलाहकार एक कैंपेन चलाकर गांव-गांव जाएं और किसानों को राज्य सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं के साथ-साथ चलायी जा रही योजनाओं की भी विस्तृत जानकारी उन्हें दें। केंद्र पर उन्हें ले जाकर रजिस्ट्रेशन कराएं साथ ही आधार से उनका खाता लिंक कराएं जिससे उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई न हो। किसानों को इस बात के लिए प्रेरित करें कि उत्पादन कैसे बढ़ाएं। मुख्य सचिव, कृषि विभाग के पदाधिकारी, जिलाधिकारी, प्रखंड स्तर के अधिकारी एक-एक चीज की म़ॉनिटरिंग करें ताकि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि 13 जून को हमलोगों ने बाढ़ एवं सुखाड़ की संभावित स्थिति के लिए विभिन्न विभागों एवं सभी जिलों के जिलाधिकारियों के साथ तैयारियों की समीक्षा बैठक की थी जिसमें एक-एक बिंदु पर चर्चा की गई थी। उस दौरान मौसम विभाग के प्रतिनिधि ने यह आश्वसत किया था कि इस बार अच्छी बारिश होगी। लेकिन अपने पुराने अनुभवों के आधार पर मेरे मन में यह शंका थी कि वर्षा की संभावना कम है, जो अभी तक दिख रही है। राज्य में अभी तक औसत वर्षा 48 प्रतिशत से कम हुई है और कई जिलों में 80 प्रतिशत से भी कम वर्षा हुई है। कल भी सुखाड़ की संभावित स्थिति से निपटने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की गई जिसमें किसानों को तत्काल राहत उपलब्ध करवाने के लिए कुछ निर्णय लिए गए। पिछले वर्ष डीजल अनुदान की राशि 35 रुपए प्रति लीटर था, जिसे इस वर्ष शुरु में 40 रुपए किया गया और कल उसे 50 रुपए प्रति लीटर किया गया है। मुझे खुशी है कि आज जिन लाभुकों को यह लाभ मिला है उन्हें 50 रुपए की दर से ही राशि उनके खाते में गई है। बिजली विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में 16 से 18 घंटा बिजली की आपूर्ति की जा रही थी, जिसे अब बढ़ाकर 20 से 22 घंटा किया जा रहा है। स्टेट ट्यूबवेल या प्राइवेट ट्यूबवेल के तहत किसान पटवन कर रहे थे अतः कृषि कार्य के लिए बिजली आपूर्ति की दर को 96 पैसे से घटाकर 75 पैसा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि धान न होने की स्थिति में आकस्मिक फसल योजना के तहत कृषि विभाग के अधिकारी, कर्मी, गांव-गांव जाकर किसानों से यह समझने की कोशिश करें कि उस क्षेत्र में कौन सी फसल लगाना उपयुक्त होगा और उसी अनुसार उन्हें बीज उपलब्ध कराने की तत्काल व्यवस्था करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा के तहत लोगों को सुखाड़ की स्थिति में भी रोजगार मिल सके इसके लिए निर्देश दिया गया है कि तालाब की खुदाई की जाए, साथ ही प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का तत्काल काम शुरु किया जाए, ग्रामीण कार्य विभाग के तहत सड़कों की मरम्मत तथा निर्माण कार्य करायी जाए। पशुओं की चारा उपलब्ध कराने के बारे में पशुपालन विभाग तैयार है। 1300 जगहों का चयन किया गया है, जहां पशु केंद्र के रुप में जहां पशुओं को पर्याप्त सुविधाएं मिल सकें साथ ही वहां पर जल की पर्याप्त व्यवस्था रहे। सोलर पंपसेट के माध्यम से पानी की व्यवस्था की जाएगी। पेयजल की उपलब्धता के लिए 175 टैंक कार्यरत थे जो आज से बढ़ाकर 500 टैंकर किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ की स्थिति में एक से तीन माह तक ज्यादा परेशानी होती है लेकिन सुखाड़ की स्थिति में हम सबको अगले जून महीने तक कठिन परिश्रम करना होगा साथ ही उत्पन्न परिस्थितियों से निपटने के लिए सतर्क रहना होगा। आपदा प्रबंधन के लिए हमलोग हमेशा तत्पर रहते हैं। वर्ष 2007 में 22 जिलों के ढाई करोड़ लोगों को एक क्विंटल अनाज उपलब्ध कराया गया था। पिछली बार वर्ष 2016 में 38 लाख परिवारों को जो बाढ़ से प्रभावित थे, 6 हजार प्रति परिवार की दर से 2400 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध करायी गई थी। हमने अधिकारियों से हमेशा ये कहा है कि आपदा की परिस्थिति में उदारतापूर्वक पैसा खर्च कीजिए खजाने पर संकट नहीं आएगा, चिंता करने की जरुरत नहीं है। राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। हर परिस्थिति पर नजर रखी जा रही है। 31 जुलाई को फिर बैठक कर सारी परिस्थितियों की समीक्षा एक बार फिर की जाएगी। किसानों को और ज्यादा से ज्यादा सहायता उपलब्ध करायी जाएगी। आज भी राज्य में आजीविका के लिए 76 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं। हमलोग उनके प्रति संवेदनशील हैं। आपदा की स्थिति में राज्य सरकार हर संभव सहायता उपलब्ध कराएगी जिससे आपदा से निपटने में सहयोग हो सके। कृषि विभाग पूरी पारदर्शिता के साथ काम करे, मुझे पूरी उम्मीद है कि कामयाबी मिलेगी।
इस अवसर पर विधान पार्षद रामेश्वर महतो, विकास आयुक्त शशि शेखर शर्मा, मुख्यमंत्री प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, कृषि निदेशक हिमांशु कुमार राय, कृषि निदेशक उद्यान अरविंदर सिंह, विशेष सचिव के मुख्यमंत्री सचिवालय अनुपम कुमार,मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, एच.डी.एफ.सी.बैंक के पूर्वी क्षेत्र के अध्यक्ष संदीप कुमार सहित अन्य वरीय पदाधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में किसान (महिला-पुरुष) एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।