भारत रत्न: महामना और उदारमना

रिपोर्ट: राजकिशोर

नई दिल्ली, एक महामना..! दूसरा उदारमना..! एक दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष। दूसरे भाजपा के अध्यक्ष रहे। दोनों ही भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष। दल भले ही विरोधी रहे हों। दोनों समकालीन भी नहीं। फिर भी दोनों व्यक्तित्वों में कई समानताएं। एक ने शिक्षा और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में प्रतिमान स्थापित किए। दूसरे ने विकास और विदेश नीति के क्षेत्र में झंडे गाड़े। सबसे बड़ी दो समानताएं कि दोनों ही हिंदी के पुरोधा और सभी वादों से ऊपर उठकर अजातशत्रु!! स्वाधीनता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी। दोनों को जन्मदिन से पूर्व सम्मान दोनों विभूतियों को उनके जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजे जाने का इंतजार खत्म हुआ। चूंकि, 25 दिसंबर महामना मालवीय और अटल का जन्मदिन है, लिहाजा उसी समय सर्वोच्च नागरिक सम्मान की घोषणा का सरकार का एक माह पहले से ही विचार था। बृहस्पतिवार को दिवंगत मालवीय की 153वीं जयंती और वाजपेयी के 90 साल पूरे हो रहे हैं। इससे एक दिन पूर्व प्रभु यीशु के जन्मदिन पर चर्च की घंटियों के बजने के साथ अवतरित दोनों हस्तियों को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत रत्न से नवाजे जाने की घोषणा बुधवार को ट्वीट करके की। उन्होंने ट्वीट किया, 'पंडित मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित कर बेहद खुशी हो रही है।' उनसे पहले 43 हस्तियों को इससे विभूषित किया जा चुका है। अब महामना और अटल इससे नवाजे जाने वाले 44वीं व 45वीं हस्ती होंगे। समकालीन नहीं, पर खासी समानता दोनों ही हस्तियां समकालीन नहीं है, लेकिन कई मामलों में दोनों में खासा साम्य है। महामना का जन्म 25 दिसंबर 1861 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जैसी संस्था की स्थापना दान लेकर की थी। उनके इस कदम से भारत ने शिक्षा क्षेत्र में सबसे बड़ी छलांग लगाई थी। स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद् व विधिवेत्ता होने के साथ वह दो बार कांग्रेस अध्यक्ष रहे। उन्होंने हिंदी में अदालतों में कामकाज की लड़ाई अंग्रेजों के शासन में पहली बार लड़ी। उन्होंने दलितों को मंदिर में प्रवेश दिलाने से लेकर वंचित तबकों के उत्थान के लिए भगीरथी प्रयास किए। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार हिंदी का परचम फहराया। करिश्माई नेता, ओजस्वी वक्ता और प्रखर कवि के रूप में विख्यात अटल ने बतौर विदेश मंत्री 1977 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में उद्बोधन दिया था। 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे वाजपेयी पहले जनसंघ फिर भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष रहे। तीन बार प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी का समय तेज आर्थिक विकास दर और विश्व स्तर पर भारत की साख बढ़ाने के लिहाज से अहम माना जाता है। वह पहले प्रधानमंत्री थे, जिनका कभी कांग्रेस से नाता नहीं रहा। वह संघ के स्वयंसेवक होकर भी धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी चेहरा रहे, बल्कि उनकी लोकप्रियता दलगत सीमाओं से ऊपर ही रही। मोदी सरकार के आने के बाद से थी सुगबुगाहट केंद्र में भाजपा की सरकार आने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी से चुनकर आने के बाद ही महामना मालवीय व वाजपेयी को भारत रत्न दिए जाने की सुगबुगाहट उठी थी। 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले अटल बिहारी वाजपेयी को उनके घर जाकर जन्मदिन की शुभकामनायें देंगे। फिर अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी और मालवीय के प्रयासों से बने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय भी जाएंगे। ठीक इससे पहले भारत रत्न का ऐलान कर दिया गया। प्रतीकों के सहारे सियासी लक्ष्य प्रतीकों की सियासत में भी नरेंद्र मोदी के सामने पस्त पड़ चुकी कांग्रेस के सामने केंद्र सरकार ने फिर बड़ी लकीर खींच दी है। भाजपा के शीर्ष पुरुष अटल ही नहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और महामना जैसी शख्सियत को भारत रत्न से वंचित रखे जाने पर कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व को आइना दिखा दिया। वैसे भाजपा तो लंबे समय से वाजपेयी को भारत रत्न दिए जाने की मांग करती रही है। पिछले साल भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर व प्रख्यात वैज्ञानिक सीएनआर राव को संप्रग सरकार ने भारत रत्न दिया था। मोदी पहले ही महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल की वैचारिक सियासत पर कब्जा कर कांग्रेस को बेचैन कर चुके हैं। पंडित मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न देना राष्ट्र के प्रति उनकी सेवाओं को पूर्ण मान्यता देना है। अद्भुत अध्येता तथा स्वतंत्रता सेनानी मालवीय ने राष्ट्रीय चेतना की चिंगारी जलाई। अटल जी हम सबके लिए मार्गदर्शक, प्रेरक और बड़े अर्थ रखते हैं। भारत में उनका योगदान अमूल्य है। -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री अटल मुस्कुराए: सुषमा नई दिल्ली, जेएनएन। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जब भारत रत्न से अलंकृत किए जाने की जानकारी दी गई तो उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई। यह जानकारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दी। वह उन्हें भारत रत्न मिलने की सूचना देने उनके आवास पर गई थीं।


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