काम में कोताही बरतनेवाले रेलवे अधिकारियों पर कार्रवाई कर मोदी सरकार ने दिया कड़ा संदेश
नई दिल्ली : काम में शिथिलता बरतनेवाले कर्मियों को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कड़ा संदेश मिला. मोदी सरकार ने काम में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी है. रेलवे मंत्रालय ने 19 अधिकारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इनमें से 10 अधिकारी संयुक्त सचिव स्तर के समकक्ष अधिकारी थे, जो रेलवे के अलग-अलग मंडलो और रेल, कोच फैक्टरी में तैनात थे. इसके अलावा पिछले 75 अधिकारियों को वीआरएस दिया गया है, इन पर निष्ठा से काम न करने और लापरवाही बरतने का आरोप था. खासतौर से रेलवे मे 19 बड़े ओहदेदारों को वीआरएस दे दिया गया. ऐसा करके दरअसल सरकार ने कड़ा संदेश दिया है. ये संदेश सभी महकमों तक जाएगा.
भारतीय रेलवे ने 56 जे के तहत कार्रवाई करते हुए 19 अधिकारियों को नौकरी से तत्काल प्रभाव से हटा दिया है. ये वरिष्ठ अधिकारी थे, जो रेलवे में डीआरएम या इससे ऊपर पदों पर तैनात थे. रेलवे सूत्रों के अनुसार इनमें से ज्यादातर अधिकारियों पर विजिलेंस की जांच में भ्रष्टाचार के आरोप थे. नौकरी से हटाए गए ये अधिकारी पश्चिमी रेलवे, एमसीएफ, मध्य रेलवे, सीएलडब्ल्यू, नार्थ फ्रंट रेलवे, पूर्व रेलवे, दक्षिण पश्चिमी रेलवे, डीएलडब्लयू, उत्तर मध्य रेलवे, आरडीएसओ, ईडी सेल का सेलेक्शन ग्रेट और उत्तर रेलवे में विभिन्न पदों पर तैनात थे. इनमें 10 अधिकारी एसएजी ग्रेड के अधिकारी यानी सामान्य भाषा में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी थे. हटाए गए अधिकारियों में इलेक्ट्रिकल के चार,पर्सनल के दो, मेडिकल के तीन,स्टोर के एक, मैकेनिकल का एक, सिविल इंजीनियरिंग के तीन,सिग्नलिंग के चार और ट्रैफिक का एक अधिकारी शामिल है.
रेलवे मंत्रालय पिछले करीब एक साल से नाकारा अधिकारियों पर कार्रवाई कर रही है. जुलाई से लेकर अब तक यानी 11 माह में 75 अधिकारियों को बीआरएस दिया गया है. इसमें जीएम, सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं, जिन पर नौकरी के प्रति निष्ठा न रखने और लापरवाही के आरोप थे. सबसे ज्यादा जनवरी माह में अधिकारियों को वीआरएस दिया गया. इस माह में 11 अधिकारियों को वीआरएस दिया गया है.
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