कांग्रेस ने नहीं दिया कमाई का हिसाब,आमदनी और खर्चे में BJP आगे

रिपोर्ट: प्रीतम दुबे

हाल में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा शासित तीन राज्यों में तख्ता पलट करते हुए शानदार जीत दर्ज की। चुनाव से पहले कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर राफेल डील में घोटाले, नोटबंदी में भ्रष्टाचार और कुछ बड़े उद्योगपतियों के साथ गबन के कई आरोप लगाए। इसके विपरीत एक सच्चाई ये भी है कि खुद कांग्रेस ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए चुनाव आयोग को पार्टी की ऑडिट रिपोर्ट नहीं सौंपी है। वहीं अन्य पार्टियों द्वारा दी गई ऑडिट रिपोर्ट में भाजपा आय व व्यय में सबसे आगे है। आइये जानतें है अन्य पार्टियों के आय व्यय का हाल।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा जारी की गई वित्तीय वर्ष 2017-18 की ऑडिट रिपोर्ट में राष्ट्रीय दलों के आय एवं व्यय का विश्लेषण किया गया है। इसके अनुसार भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआइ) ने 19 नवंबर 2014 को राजनीतिक दलों के अध्यक्षों/महामंत्रियों को सम्बोधित करते हुए अपने पत्र में लिखा था कि सभी दलों को उनकी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इसके बाद से सभी राजनीतिक दल प्रत्येक वर्ष चुनाव आयोग को अपनी ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करती हैं।

30 अक्टूबर 2018 तक देनी थी ऑडिट रिपोर्ट
राजनीतिक पार्टियों द्वारा वर्ष 2017-18 की ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 30 अक्टूबर 2018 की समय सीमा निर्धारित की गई थी। एडीआर की इस रिपोर्ट में 6 राष्ट्रीय दलों (कांग्रेस को छोड़कर) के कुल आय और व्यय का विश्लेषण है, जो उन्होंने वित्तिय वर्ष 2017-18 के लिए अपने आयकर में भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है। चुनाव आयोग को ऑडिट रिपोर्ट सौंपने वाले राष्ट्रीय दलों में भारतीय जनता पाटी (भाजपा), इंडियन नेशनल कांग्रेस (कांग्रेस), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सिस्ट) (सीपीएम) और आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (एआइटीसी) शामिल हैं।

पार्टी

ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथिः 30 अक्टूबर 2018

ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की तिथि

ऑडिट रिपोर्ट जमा करने में हुई देरी

AITC

24 सितंबर 2018

समय सीमा से पहले

CPM

09 अक्टूबर 2018

समय सीमा से पहले

BSP

12 अक्टूबर 2018

समय सीमा से पहले

CPI

31 अक्टूबर 2018

एक दिन की देरी से

NCP

20 नवंबर 2018

20 दिन की देरी से

BJP

24 नवंबर 2018

24 दिन की देरी से

INC

जमा नहीं की ऑडिट रिपोर्ट

48 दिन (17-12-2018 तक)

वित्तीय वर्ष 2017-18 ऑडिट रिपोर्ट के महत्वपूर्ण तथ्य

  • राजनीतिक दलों द्वारा वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने की नियमित तिथि 30 अक्टूबर 2018 थी।
  • बसपा, सीपीएम और एआइटीसी तीनों पार्टियों ने निर्धारित समय सीमा से पहले अपनी ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी थी।
  • सीपीआई ने निर्धारित समय सीमा के एक दिन बाद, एनसीपी ने 20 दिन बाद और भाजपा ने 24 दिन बाद अपनी ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग में जमा की।
  • कांग्रेस ने 46 दिन बाद (17 दिसंबर 2018 तक) भी ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग में प्रस्तुत नहीं की है।

2017-18 में राजनीतिक दलों की आय एवं व्यय

  • वित्तीय वर्ष 2017-18 में भाजपा ने कुल 1,027.339 करोड़ रुपये की आय घोषित की है। इसमें से पार्टी ने 758.47 करोड़ रुपये यानि कुल आय का 74 फीसद खर्च दिखाया है।
  • बसपा ने कुल 51.847 करोड़ रुपये की आय घोषित की है, जिसमें से पाटी ने 14.78 करोड़ रुपये यानि कुल आय का 29 फीसद खर्च दिखाया है|
  • सीपीएम ने कुल 104.847 करोड़ रुपये की आय घोषित की है, जिसमें से पार्टी ने 83.482 करोड़ रुपये यानि कुल आय का 80 प्रतिशत खर्च दिखाया है।
  • एनसीपी ने अपनी कुल आय से 8 प्रतिशत (59 लाख रुपये) अधिक खर्च दिखाया है| वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान पार्टी ने 8.15 करोड़ रुपये की आय घोषित की है, लेकिन पाटी का कुल खर्च 8.84 करोड़ रुपये था|
  • राष्ट्रीय दलों की आय पूरे भारत वर्ष से विभिन्न स्रोतों से संकलित की गई है, जैसा कि उन्होंने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में प्रस्तुत किया है।
  • सात में से छह राष्ट्रीय दल जिनकी ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक तौर पर चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इन छह दलों की कुल आय पूरे देश से 1,198.75 करोड़ रुपये है।
  • कुल आय 1,027.339 करोड़ रुपये के साथ राष्ट्रीय दलों में भाजपा ने सबसे अधिक आय घोषित की है, जो इन छह दलों के कुल आय का 85.70 प्रतिशत है।
  • दूसरे नंबर पर सीपीएम ने 104.847 करोड़ रुपये की आय घोषित की है, जो छह दलों के कुल आय का 8.75 फीसद है।
  • सीपीआइ ने सबसे कम 1.553 करोड़ रुपये की आय घोषित की है, जो वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान छह राष्ट्रीय दलों की कुल आय का मात्र 0.13 प्रतिशत है।

वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 के बीच राष्ट्रीय दलों के आय की तुलना

  • सभी राजनीतिक दलों में से कांग्रेस ने 2016-17 में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा आय घोषित की थी। कांग्रेस ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान 225.36 करोड़ रुपये की कुल आय घोषित की थी। हालांकि वित्तीय वर्ष 2017-18 की ऑडिट रिपोर्ट पार्टी ने चुनाव आयोग को नहीं सौंपी है।
  • भाजपा की आय में 0.67 प्रतिशत (6.93 करोड़ रुपये) की गिरावट हुई है। भाजपा ने 2016-17 में 1,034.27 करोड़ रुपये की आय दिखायी थी, जो 2017-18 में घटकर 1,027.34 करोड़ रुपये रह गई।
  • बसपा की आय में 235.78 प्रतिशत (121.88 करोड़ रुपये) की गिरावट आयी है।
  • एनसीपी की आय में 111.47 प्रतिशत (9.085 करोड़ रुपये) की गिरावट हुई है।
  • पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वर्ष केवल सीपीएम की आय में 4.38 प्रतिशत (4.59 करोड़ रुपये) की वृद्धि हुई है।

वित्तीय वर्ष 2017-18 में आय के तीन प्रमुख स्रोत

  • राष्ट्रीय दलों के शीर्ष तीन मुख्य आय स्रोतों में सबसे ज्यादा कमाई दान से हुई है। भाजपा को दान से 989.707 करोड़ रुपये, सीपीएम को 39.02 करोड़ रुपये, बसपा को 10.676 करोड़ रुपये, एनसीपी को 2.088 करोड़ रुपये और तृणमूल कांग्रेस को 30 लाख रुपये प्राप्त हुए हैं।
     
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 में भाजपा को पूरे देश से सबसे अधिक 989.707 करोड़ रुपये का दान प्राप्त हुआ, जो पार्टी की कुल आय का 96.34 फीसद है।
     
  • एनसीपी को सबसे अधिक 5.37 करोड़ रुपये की आय कूपनों से प्राप्त होने वाले राजस्व (Revenue from issuance of Coupons) से हुई है। ये पार्टी की कुल आय का 65.89 प्रतिशत है।

वित्तीय वर्ष 2017-18 में व्यय के तीन प्रमुख स्रोत

  • भाजपा ने 567.43 करोड़ रुपये का खर्च चुनाव व सामान्य प्रचार पर और 143.23 करोड़ रुपये पार्टी के प्रशासनिक कार्यों पर खर्च किए।
  • सीपीएम ने सबसे अधिक व्यय प्रशासनिक और सामान्य खर्च में 42.45 करोड़ रुपये और कर्मचारी लागत पर 31.81 रुपये का खर्च घोषित किया है।

राष्ट्रीय दलों द्वारा  घोषित आय के सभी स्रोत

  • त्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान छह राष्ट्रीय दलों ने सबसे अधिक 86.91 फीसद (1,041.80 करोड़ रुपये) की आय स्वैच्छिक दान से अर्जित की है।
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान छह राष्ट्रीय दलों में से केवल भाजपा ने ही चुनावी बॉड से 210 करोड़ की आय प्राप्त की है।
  • छह राष्ट्रीय दलों ने अन्य योगदान से 714.57 करोड़ रुपये की आय वित्तीय वर्ष 2017-18 में दर्शायी है।

एडीएआर के सुझाव

  • सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर 2013 को यह घोषित किया कि उम्मीदवारों के शपथ पत्र का कोई भी हिस्सा खाली नहीं रहना चाहिए, इसी के तर्ज पर फॉर्म 24ए (जो राजनीतिक दलों द्वारा 20,000 रुपये से ज्यादा दान देने के लिए प्रस्तुत किया जाता है) का भी कोई हिस्सा खाली नहीं रहना चाहिए।
  • राजनीतिक दलों की आय का अधिकतम हिस्सा (75 फीसद) अज्ञात स्रोतों से आता है। इसलिए दानदाताओं का पूरा ब्यौरा सार्वजनिक जांच के लिए आम जनता को उपलब्ध होनी चाहिए।
  • भूटान, नेपाल, जर्मनी, फ्रांस, इटली, ब्राजील, बल्गेरिया, अमेरिका तथा जापान जैसे देशों में ऐसा किया जा रहा है। ऐसे में इन देशों में से किसी भी देश में राजनीतिक दलों के आय स्रोत का 75 फीसद अज्ञात रहना संभव नहीं है।
  • आइसीएआइ का यह दिशा-निर्देश की राजनीतिक दलों के ऑडिट रिपोर्ट का इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा छानबीन की जानी चाहिए किन्तु इसका पालन नहीं होता है।
  • राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत निरंतर तौर पर जानकारी प्रदान करनी चाहिए। ऐसा करने से ही राजनीतिक दल, चुनाव प्रक्रिया एवं लोकतंत्र सशक्त होगा।

 


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