देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सम्मान संसद का सम्मान है। आजादी के बाद से अब तक उन जैसा सुसंस्कृत और सभ्य सांसद नहीं हुआ। विवादों से तो उनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहा। ऐसी शख्सियत को भारत रत्न देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बेहतर काम किया है, जिसे पूरा देश याद रखेगा। वैसे भी अटल का नाम काल के कपाल पर लिखा है। देश आजाद होने के बाद जब से संसद गठित हुई तब से लेकर आज तक वाजपेयी जैसा कोई निर्विवाद सांसद नहीं हुआ। उनकी विद्वता का सभी लोहा मानते हैं। उन्होंने संसद की गरिमा का भरपूर ख्याल रखा। किसी को याद नहीं होगा कि वाजपेयी के मुंह से कभी कुछ असंसदीय निकला हो। वे काफी संयत और सुघड़ भाषा का प्रयोग करते थे। उनकी बातें सबके दिल को छूती थीं। मैंने आज तक किसी के मुंह से वैसी लच्छेदार और मर्यादित भाषा नहीं सुनी। वे कवि हृदय थे। विपक्ष को उन जैसा करारा और सटीक जवाब देते हुए कोई सांसद मुझे नजर नहीं आया। वे जब बोलते थे तब संसद सुनती थी, क्योंकि हमेशा माकूल मौके पर मुद्दे की बात बड़े ही मोहब्बताना अंदाज में बोलते थे। उनकी इस अदा का हर कोई कायल रहा। उन्होंने देश के लोगों के दिलों पर राज किया। वे सचमुच भारत रत्न हैं। वाजपेयी ऐसे व्यक्तित्व का नाम है, जिसने कभी हार नहीं मानी। हमेशा एक नई रार ठानी। तभी तो पूरी दुनिया ने देखा प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी का जलवा। कहना न होगा कि उनके कार्यकाल में भारत की एक नई तस्वीर बनी। देर से ही सही, एक सही निर्णय लिया गया है। ये ऐसे लोग हैं, जिन्हें सम्मान देकर हम खुद सम्मानित होते हैं। पंकज भारद्वाज से बातचीत पर आधारित