भारतीय इतिहास में 12 मार्च की तारीख सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। 89 साल पहले 1930 में आज ही के दिन 'दांडी मार्च' की शुरूआत हुई थी। इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अहम पड़ाव के रूप में माना जाता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस दिन अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से नमक सत्याग्रह के लिये दांडी यात्रा शुरू की थी। इस मार्च के जरिए बापू ने अंग्रेजों के बनाए नमक कानून को तोड़कर उस सत्ता को चुनौती दी थी, जिसके बारे में कहा जाता था कि उसके साम्राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता है।
'दांडी मार्च' की वर्षगांठ पर कांग्रेस ने बापू को याद करते हुए एक वीडियो ट्वीट किया और लिखा,' आज महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू हुई दांडीमार्च की वर्षगांठ है, जिसने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह मार्च नमक पर कठोर और दमनकारी ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था।'
इस मौके पर पीएम मोदी ने ट्वीट किया- जब एक मुट्ठी नमक ने अंग्रेजी साम्राज्य को हिला दिया ! उन्होंने इस दौरान एक ब्लॉग भी शेयर किया। इसमें उन्होंने बापू के बहाने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए लिखा, 'बापू ने कहा था, “ ...मेरे लिए भारत की असली आजादी वो है, जब देशवासियों में भाईचारे की अटूट भावना हो। गांधी जी ने हमेशा अपने कार्यों के माध्यम से ये संदेश दिया कि असमानता और जाति विभाजन उन्हें किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। दुख की बात है कि कांग्रेस ने समाज को विभाजित करने में कभी संकोच नहीं किया। सबसे भयानक जातिगत दंगे और दलितों के नरसंहार की घटनाएं कांग्रेस के शासन में ही हुई हैं।'
बता दें कि 1930 में अंग्रेजों ने नमक उत्पादन और उसके विक्रय पर भारी मात्रा में कर लगा दिया था। इससे उसकी कीमत कई गुणा तक बढ़ गई थी। अधिक कर होने से यह गरीबों की पहुंच से दूर हो रहा था। इसके खिलाफ ही महात्मा गांधी ने 12 मार्च से 6 अप्रैल 1930 तक साबरमती से दांडी तक पदयात्रा निकाली थी। जिसे दांडी मार्च कहा जाता है।