SC की 9 जजों की बेंच कल तय करेगी प्राइवेसी फंडामेंटल राइट है या नहीं

रिपोर्ट: ramesh pandey

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 9 जजों की एक बेंच बनाने का फैसला किया, जो तय करेगी कि भारतीय संविधान के तहत प्राइवेसी फंडामेंटल राइट है या नहीं। कोर्ट आधार को जरूरी किए जाने के मामलों में सुनवाई कर रही है। 6 और 8 जजों की बेंच कह चुकी प्राइवेसी फंडामेंटल राइट नहीं... - चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुआई वाली पांच जजों की कॉन्स्टीट्यूशनल बेंच ने करीब एक घंटे सभी पक्षों की दलीलें सुनीं। इसके बाद तय किया कि आधार से जुड़े प्राइवेसी के मामले पर पहले सुनवाई होनी चाहिए। - दरअसल, आधार के लिए बायोमेट्रिक रिकॉर्ड लिए जाने को पिटीशनर प्राइवेसी के लिए खतरा बता रहे हैं। उधर, सरकार की दलील है कि प्राइवेसी का हक फंडामेंटल राइट है ही नहीं। इसलिए 9 जजों की बेंच करेगी सुनवाई - केस की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जरनल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा कि 1950 में एमपी शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट की 8 जजों की बेंच कह चुकी है कि प्राइवेसी का हक फंडामेंटल राइट नहीं है। - उन्होंने कहा कि इसी तरह 1960 में खड़क सिंह के मामले में 6 जजों की बेंच ने भी यही कहा था। ऐसे में इस मुद्दे पर 5 जजों की बेंच सुनवाई नहीं कर सकती। इसे 9 जजों की बेंच को भेजा जाना चाहिए। - आधार मामलों की सुनवाई कर रही पांच जजों की बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस जे. चेलामेश्वर, एसए बोबडे, डीवाय चंद्रचूड और एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं। वापस 5 जजों की बेंच के पास चला जाएगा केस - कोर्ट ने कहा कि बुधवार को इस मामले दिनभर 9 जजों की बेंच सुनवाई करेगी। सभी पक्ष 1-1 घंटे में अपनी दलील देंगे। अगर प्राइवेसी को फंडामेंटल राइट माना जाता है तो फिर यह तय किया जाएगा कि आधार स्कीम प्राइवेसी के खिलाफ है या नहीं। - कोर्ट ने संकेत दिए कि प्राइवेसी का हक तय होने के बाद आधार से जुड़ी पिटीशंस को दोबारा 5 जजों की बेंच को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। पहले 7 जजों की बेंच से सुनवाई करने की मांग थी - बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने 7 जुलाई को कहा था कि आधार से जुड़े जितने भी मुद्दे आ रहे हैं, उनका फैसला 9 जजों की बेंच ही कर सकती है। बेंच की अगुआई कर रहे जस्टिस जे. चेलामेश्वर ने साफ किया था कि जजों की संख्या का फैसला चीफ जस्टिस ही करेंगे। - बता दें 7 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने आधार जरूरी किए जाने के सरकार के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। - पिछले महीने सोशल वेलफेयर स्कीम्स के लिए आधार जरूरी किए जाने के मामले में भी दो जजों की बेंच ने फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया था। ये है मामला - सोशल वेलफेयर स्कीम्स का फायदा लेने के लिए केंद्र ने आधार को जरूरी कर दिया है। इसके खिलाफ तीन अलग-अलग पिटीशंस सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई थीं। - इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा था कि सरकार और उसकी एजेंसियां योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को जरूरी ना बनाएं। - बाद में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को ये छूट दी थी कि एलपीजी सब्सिडी, जनधन योजना और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से लाभ लेने के लिए लोगों से वॉलेंटरी आधार कार्ड मांगे जाएं। डुप्लीकेशन हटाना सरकार का मकसद - सरकार डुप्लीकेशन हटाने के लिए तमाम योजनाओं में आधार जरूरी कर रही है। - इंश्योरेंस रेग्युलेटर इरडा ने भी सभी इंश्योरेंस कंपनियों से उनके एजेंट्स के आधार नंबर जमा करनवाने को कहा है। - इसका मकसद ऑनलाइन डाटाबेस बनाना है, ताकि डुप्लीकेशन को रोका जा सके। - इस डाटाबेस का जिम्मा इंश्योरेंस इंफॉर्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया के पास होगा। 92 स्कीम्स पर अमल आधार के जरिए - केंद्र के 19 मंत्रालयों की 92 स्कीम्स में आधार का इस्तेमाल हो रहा है। इनके जरिए एलपीजी सब्सिडी, फूड सब्सिडी और मनरेगा के तहत मिलने वाले फायदे आधार के जरिए मिल रहे हैं। यहां आधार जरूरी 1) आईडेंटिटी: केंद्र और राज्य सरकार की कई सर्विसेस में आधार को आईडेंटिटी के तौर पर मंजूर किया जा रहा है। इनमें पासपोर्ट एप्लीकेशन, बैंक या इंश्योरेंस अकाउंट खोलने, मोबाइल या फोन कनेक्शन लेने जैसी सर्विसेस शामिल हैं। 2) वोटर आईडी: वोटर लिस्ट में कई बार एक ही शख्स का नाम कई जगह दर्ज रहता है। इसकी जांच के लिए आधार का इस्तेमाल हो रहा है। अब इलेक्शन कमीशन ने वोटर आईडी पर आधार नंबर देना भी शुरू कर दिया है। 3) बैंक: अकाउंट खोलने और 50 हजार से ज्यादा के ट्रांजैक्शन पर भी आधार जरूरी कर दिया गया है। 4) पीएफ: इम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) ने इम्प्लॉई को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) अलॉट किया है। इसका मकसद यह है कि इम्प्लॉई के कंपनी छोड़ने के बाद उसका पैसा आसानी से उसके खाते में ट्रांसफर हो सके। यूएएन को आधार से लिंक किया गया है। इस फैसेलिटी से इम्प्लॉई अपना पीएफ का पैसा सीधा अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर सकता है। 5) आईटी रिटर्न: बीते दो सालों से इनकम टैक्स (अाईटी) डिपार्टमेंट ने आधार बेस्ड मैकेनिज्म तैयार किया है। इससे डिजिटल साइन किए जा सकते हैं और आईटी रिटर्न ऑनलाइन भरा जा सकता है। इस साल से सरकार ने पैन के साथ आधार लिंक करना जरूरी कर दिया है, ताकि टैक्स बचाने के लिए एक से ज्यादा अधार का इस्तेमाल नहीं किया जा सके। 6) उज्ज्वलायोजना: नरेंद्र मोदी सरकार ने गरीबों को फ्री एलपीजी कनेक्शन देने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू की है। इसमें फायदा लेने वाले को आधार देना जरूरी है। इसी से उसकी सब्सिडी ट्रांसफर हो रही है। 7) डिजिटल पेमेंट: यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस और हाल ही में लॉन्च किया गया भीम एप आधार बेस्ड मनी ट्रांसफर को सपोर्ट करता है। आईडीएफसी बैंक ने हाल ही में आधार पे शुरू किया है। इसमें मर्चेंट (दुकानदार) को पेमेंट करने के लिए कस्टमर के फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल किया जाता है। 8) डीबीटी: डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) आधार बेस्ड सर्विस है। यह ऐसा मेकेनिज्म है, जिसमें सब्सिडी की रकम फायदा पाने वाले के अकाउंट में जाती है। पहले यह कैश या चेक के जरिए दी जाती थी। 9) पीडीएस: पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम (पीडीएस), यानी राशन कार्ड के जरिए सब्सिडी वाला सामान लेना है तो उसके लिए भी आधार जरूरी किया गया है। कितनी बढ़ गई आधार की अहमियत - देशभर में 110 करोड़ में से करीब 67 करोड़ बैंक अकाउंट को आधार से लिंक कर दिया गया है। पिछले हफ्ते आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी थी। बैंकों से आधार बनवाने के सेंटर खोलने को कहा गया - गुरुवार को यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) ने प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर की बैंकों से आधार एनरोलमेंट फैसेलिटी शुरू करने को कहा है। यह फैसेलिटी 10 में से कम से कम एक ब्रांच में शुरू करनी होगी।


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