भारत-श्रीलंका के बीच हुआ असैन्य परमाणु समझौता, रक्षा संबंध भी बढाएंगे दोनों देश

रिपोर्ट: साभारः

नयी दिल्ली: अपने संबंधों को नए स्तर तक ले जाते हुए भारत और श्रीलंका ने आज एक असैन्य परमाणु समझौते पर दस्तखत किए और रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढाने पर भी सहमत हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के बीच हुई वार्ता के बाद इसकी घोषणा की गई. वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने एक रचनात्मक एवं मानवीय रुख अपनाकर मछुआरों से जुडे संवेदनशील मुद्दे का समाधान तलाशने को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की. सिरीसेना के साथ एक संयुक्त प्रेस सम्मेलन में मोदी ने कहा, ‘‘असैन्य परमाणु सहयोग पर द्विपक्षीय समझौता हमारे आपसी विश्वास की एक और अभिव्यक्ति है. श्रीलंका द्वारा हस्ताक्षरित यह पहला इस तरह का समझौता है. इससे कृषि एवं स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों सहित अन्य मामलों में भी सहयोग के नए रास्ते खुलते हैं.’’ कल यहां पहुंचे सिरीसेना ने श्रीलंका का राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी पहली विदेश यात्र के लिए भारत को चुना. उन्होंने हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में महिंदा राजपक्षे को मात दी थी. राजपक्षे पिछले 10 साल से श्रीलंका के राष्ट्रपति पद पर आसीन थे. परमाणु समझौते के तहत ज्ञान एवं विशेषज्ञता के अंतरण एवं आदान-प्रदान, संसाधन साझा करने, परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल में कर्मियों के क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण जैसे सहयोग किए जाएंगे. रेडियोधर्मी कचरा प्रबंधन और परमाणु एवं रेडियोधर्मी आपदा राहत तथा पर्यावरण संरक्षण में भी सहयोग किया जाएगा. दोनों देशों ने तीन अन्य समझौतों पर भी दस्तखत किए जिसमें कृषि के क्षेत्र में सहयोग शामिल है. एक और समझौते पर दस्तखत हुए जिसके तहत श्रीलंका नालंदा विश्वविद्यालय परियोजना में हिस्सा ले सकेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि वह और श्रीलंकाई नेता इस बात पर भी सहमत हुए कि रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढाया जाए. उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपने समुद्री सुरक्षा सहयोग, जिसमें मालदीव के साथ त्रिपक्षीय स्वरुप भी शामिल है, में प्रगति का भी स्वागत किया.’’ मोदी ने कहा कि उनका मानना है कि दोनों देशों का भाग्य ‘‘एक-दूसरे से जुडा’2 है और ‘‘हमारी सुरक्षा एवं समृद्धि को बांटा नहीं जा सकता.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर ‘‘अच्छी चर्चा’’ हुई. उन्होंने कहा कि भारत इस बात से सम्मानित महसूस कर रहा है कि सिरीसेना ने पदभार संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना. मछुआरों के मुद्दे पर मोदी ने कहा कि उन्होंने और सिरीसेना ने इसे ‘‘सर्वोच्च महत्व’’ दिया. उन्होंने कहा, ‘‘यह दोनों पक्षों के लोगों की आजीविका को प्रभावित करता है. हम इस बात पर सहमत हुए कि इस मुद्दे पर एक रचनात्मक एवं मानवीय रवैया अपनाया जाना चाहिए.’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम दोनों पक्षों के मछुआरों के संघों को जल्द मिलने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. उन्हें एक ऐसा समाधान निकालना चाहिए जिसे दोनों सरकारें आगे बढा सके.’’ श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने वार्ता के नतीजों पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि दोनों देशों की दोस्ती सिर्फ एक-दूसरे के लिए अहम नहीं है बल्कि इसका महत्व पूरे क्षेत्र के लिए भी है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं वास्तव में संबंध सुधारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिशों की तारीफ करता हूं. दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे.’’ मोदी ने श्रीलंका यात्र पर आमंत्रित करने के लिए सिरीसेना का शुक्रिया अदा किया और कहा कि वह ‘‘मार्च में श्रीलंका दौरे पर जाने के लिए उत्साहित हैं.’’ आर्थिक संबंधों के बाबत मोदी ने कहा कि दोनों देश आर्थिक सहयोग की अपार संभावनाओं के द्वार खोलने के लिए प्रतिबद्ध हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने सिरीसेना को बता दिया है कि भारत श्रीलंका में बडे पैमाने पर निवेश को बढावा देने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत और श्रीलंका के बीच वायु एवं समुद्र संपर्क बढाने का भी इरादा रखते हैं.’’ श्रीलंका में आंतरिक तौर पर विस्थापित लोगों के लिए भारत के सहयोग से चल रही परियोजनाओं के बाबत मोदी ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर शानदार प्रगति की है. मोदी ने कहा, ‘‘इसमें आवासीय परियोजना भी शामिल है जिसके तहत 27,000 से ज्यादा मकान पहले ही बनाए जा चुके हैं. राष्ट्रपति और मैंने प्रगति पर संतोष व्यक्त किया.’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैंने राष्ट्रपति सिरीसेना को आश्वस्त किया कि भारत श्रीलंका के साथ अपनी विकास साङोदारी को लेकर प्रतिबद्ध है.’’ सांस्कृतिक सहयोग से जुडे समझौते की तरफ इशारा करते हुए मोदी ने कहा कि क्रिकेट की तरह संस्कृति भी दोनों देशों के बीच एक मजबूत बंधन है.


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