नयी दिल्ली: गिरजाघरों पर हाल में हुए हमलों पर अपनी चुप्पी तोडते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि उनकी सरकार किसी भी धार्मिक समूह को नफरत फैलाने की इजाजत नहीं देगी और किसी तरह की धार्मिक हिंसा के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करेगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ‘‘सभी धर्मों को समान रुप से सम्मान देती है.’’ विपक्षी दलों और ईसाई समूहों ने प्रधानमंत्री पर पांच चचरें और दिल्ली में एक इसाई स्कूल पर हमले पर आंख मूंदने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आस्था की पूर्ण स्वतंत्रता हो और यह कि किसी जोर जबर्दस्ती या अनुचित प्रभाव के बिना हर किसी को अपनी पसंद के धर्म पर कायम रहने या अपनाने का निर्विवाद अधिकार है. मोदी ने यहां एक समारोह में कहा, ‘‘मेरी सरकार अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक से ताल्लुक रखने वाले किसी भी धार्मिक समूह को दूसरों के खिलाफ प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से घृणा फैलाने की इजाजत नहीं देगी. मेरी सरकार सभी धर्मो को समान सम्मान प्रदान करती है.’’ प्रधानमंत्री मोदी ने यहां विज्ञान भवन में के ई चवारा और मदर यूफरेशिया को संत की उपाधि दिए जाने के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय समारोह को संबोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किए. मोदी ने कडी चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘ हम किसी भी कारण से किसी धर्म के खिलाफ हिंसा को स्वीकार नहीं कर सकते और मैं ऐसी हिंसा की कडी निंदा करता हूं. मेरी सरकार इस संबंध में कडी कार्रवाई करेगी.’’ धर्म के आधार पर विश्व में भेदभाव और शत्रुता बढने तथा इस मुद्दे के वैश्विक चिंता का विषय बनने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी आस्थाओं के लिए आपसी सम्मान की प्राचीन भारतीय अवधारणा अब वैश्विक संवाद के रुप में विस्तार पा रही है. प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व एक ऐसे चौराहे पर खडा है जिसे यदि उचित तरीके से पार नहीं किया गया तो ‘‘यह हमें धर्मांधता , उन्मादी कट्टरपंथ और रक्तपात के अंधे युग में वापस फेंक सकता है.’’उन्होंने इसके साथ ही कहा कि विश्व के तीसरी सहस्राब्दि में प्रवेश करने तक भी धर्मो के बीच इस समरसतापूर्ण सम्मिलन को हासिल नहीं किया जा सका है.’’ भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी का उद्धरण देते हुए मोदी ने कहा कि सभी धर्मो के प्रति समान रुप से सम्मान की भावना प्रत्येक भारतीय के डीएनए में होनी चाहिए. समरसता की पैरवी करते हुए प्रधानमंत्री ने सभी धार्मिक समूहों से अपने प्राचीन राष्ट्र की उस सच्ची भावना के साथ संयम, आपसी सम्मान और सहिष्णुता के साथ काम करने को कहा जिसका जिक्र संविधान और हेग घोषणापत्र में किया गया है. मोदी की यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के उस बयान के बाद आयी है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में पिछले कुछ सालों में सभी धार्मिक आस्थाओं ने ‘‘असहिष्णुता की जिन गतिविधियों ’’ का अनुभव किया है , वो महात्मा गांधी को स्तंभित कर देतीं.