स्वाइन फ्लू का खतरा एनसीआर में लगातार बढ़ता जा रहा है। इस स्थिति से लोगों में खौफ का माहौल है। जहां एक ओर 4500 रूपए टेस्ट की फीस घोषित हो चुकी है वहीं दूसरी ओर सरकारी अस्पतालों में टेमीफ्लू का स्टॉक खत्म हो गया है, जिसकी वजह से लोग प्राइवेट अस्पतालों का रूख कर रहे हैं। ये हालत सिर्फ राजधानी की नहीं है, बल्कि राजधानी से लगे शहरों की भी है। प्रशासन आंख मूंदे पड़ा है। प्राइवेट अस्पतालों में आम लोगों के लिए कोई जगह नहीं है। ऐसी स्थिति में लोग इलाज से ज्यादा बचाव को तरजीह दे रहे हैं। भीड़ भाड़ वाले इलाकों में जाने से पहले वो पूरी सावधानी बरत रहे हैं। बड़े अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के लिए अलग वॉर्ड तो बनाए गए हैं, लेकिन वो व्यवस्था पूरी तरह से नहीं है। गाजियाबाद के डीएम भी अब स्वाइन फ्लू की चपेट में आ गए हैं। डीएम को स्वाइन फ्लू होने का पता चलते ही पुष्पांजलि अस्पताल में उनसे मिलने पहुंचे अधिकारियों का देर रात तक तांता लगा रहा। पुष्पांजलि क्रासले अस्पताल के डाक्टर विनय अग्रवाल का कहना है कि डीएम विमल कुमार शर्मा का इलाज शुरू कर दिया गया है। अभी कुछ और टेस्ट होने बाकी हैं। डीएम विमल कुमार शर्मा को स्वाइन फ्लू होने के साथ ही उनकी पत्नी और बेटे को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। हेल्थ डिपार्टमेंट ने कहा है कि बुखार-जुकाम के जरा से लक्षण नजर आने पर तत्काल इसकी सूचना दें और जांच कराएं। डीएम को स्वाइन फ्लू होने की खबर के साथ ही कलक्ट्रेट में तैनात अधिकारी-कर्मचारी परेशान हो गए हैं। सबसे ज्यादा टेंशन में वह लोग हैं, जो बुधवार-बृहस्पतिवार को डीएम से मिलने पहुंचे थे। स्वाइन फ्लू से पीड़ित व्यक्ति के परिजनों और ज्यादा संपर्क में रहने वाले लोगों पर भी नजर रखी जाती है। इसी के चलते डीएम विमल कुमार शर्मा की पत्नी और बेटे को भी हेल्थ डिपार्टमेंट ने सलाह दी है कि मामूली बुखार-जुकाम की स्थिति में भी तत्काल जानकारी दें। सीएमओ डा. अजेय अग्रवाल ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि अनावश्यक रूप से बिना लक्षण मिले स्वाइन फ्लू का इलाज करना या दवा देना ठीक नहीं। डॉक्टर ने कहा है कि जहां तक हो सके बचाव रखें क्योंकि इलाज से बेहतर सावधानी बरतना ज्यादा जरूरी है।