तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) के दोनों मंत्रियों अशोक गजपति राजू और वाईएस चौधरी ने प्रधानमंत्री से मुलाकात करने के बाद केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान पीएम और सांसदों के बीच बैठक भी हुई। इस्तीफे से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रबाबू नायडू से भी बात की लेकिन बात नहीं बनी| गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने और आम बजट में राज्य की अनदेखी से नाराज मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दोनों मंत्रियों के इस्तीफे की घोषणा की थी| इससे पहले चंद्रबाबू नायडू ने देर रात कहा था कि हमारे मंत्रियों का इस्तीफा पहला कदम है क्योंकि पीएम ने हमें हमारी समस्याओं पर बातचीत के लिए मिलने का वक्त नहीं दिया। टीडीपी सांसदों के इस्तीफे की धमकी को 2019 लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए में दरार के तौर पर देखा जा रहा है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दोनों मंत्रियों के इस्तीफा से एक दिन पहले ही मोदी सरकार के सौतेले व्यवहार पर कटाक्ष किया था। विधानसभा में बोलते हुए उन्होंने पीएम मोदी को उस टिप्पणी की याद दिलाई जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने सफलतापूर्वक बच्चे तेलंगाना को जन्म दिया लेकिन उसकी मां (आंध्र प्रदेश) को मार दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र राज्य के फंड को रोक रहा है। मैं 29 बार मोदी से राज्य का हाथ थामने की गुहार लगाने के लिए दिल्ली गया लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। नई राजधानी को विकसित करने के लिए फंड, पोलावरम प्रोजेक्ट और विशाखापत्तनम के लिए हुए वादे अब तक पूरे नहीं हुए हैं।नायडू ने यह भी कहा कि आंध्र प्रदेश विभाजन ऐक्ट के तहत किए गए सभी 19 वादों का सम्मान होना चाहिए। राज्यपाल के संबोधन का जवाब देते हुए उन्होंने कहा- टीडीपी और भाजपा का गठबंधन था। इसके बावजूद केंद्र ने राज्य के प्रति अपने अपेक्षित समर्थन का विस्तार नहीं किया जो विभाजन की वजह से काफी भार सह रहा है। राज्य के साथ हुए अन्याय पर पछतावा करते हुए उन्होंने बताया- स्थान के आधार पर परिसंपत्तियां दी गईं जबकि ऋण जनसंख्या के आधार पर बांटे गए। बिजली का वितरण खपत के आधार पर किया गया। नायडू ने कांग्रेस को अन्याय के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन न्याय की आस में किया था।