नई दिल्ली। प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत दस करोड़ खाते खोलने के लक्ष्य को बैंकों ने हासिल कर लिया है। सरकार ने बैंकों के लिए यह लक्ष्य तय किया था। बैंकों को इसे प्राप्त करने की खातिर 26 जनवरी की समयसीमा तय दी गई थी। बैंकों ने एक महीने पहले ही इसे पा लिया। 26 दिसंबर तक स्कीम के तहत 10.08 करोड़ खाते खुल चुके थे। आधिकारिक बयान में बताया गया कि 22 दिसंबर तक बैंक 7.28 करोड़ रुपे कार्ड जारी कर चुके थे। पीएमजेडीवाई के मिशन डायरेक्टर व संयुक्त सचिव (एफआइ) अनुराग जैन की अध्यक्षता में हुई बैठक में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित बैंकों ने खातों की संख्या व रुपे कार्ड जारी करने के आंकड़ों में अंतर को 15 जनवरी, 2015 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई। बैंकों से सभी खाताधारकों को पासबुक देने का काम पूरा करने को भी कहा गया है। बैठक में जीवन बीमा दावों के निपटान पर विस्तार से चर्चा हुई। इनके तेजी से निपटान पर विशेष जोर दिया गया। बैंकों व एलआइसी को दावा फॉर्म अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। एलआइसी को निर्देश मिले हैं कि निपटान करने में किसी भी हालत में 30 दिन से अधिक का समय न लगे। युद्धस्तर पर चल रही मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) सरकारी कार्यक्रमों की नई परिभाषा गढ़ रही है। देश के हर घर को बैंक खाते से जोडऩे के उद्देश्य से शुरू की गई यह योजना अपने हर लक्ष्य समय से पहले पूरे कर रही है। नतीजन भारत आज दुनिया में सबसे ज्यादा बैंक खाते वाले देशों में शुमार हो गया है। महज तीन माह में देश के 80 फीसद घरों के बैंक खाते खोलकर इस योजना ने करोड़ों परिवारों को वित्तीय क्षेत्र से जोड़ दिया है। इसे सरकार का प्रबंधन कहें या कुछ और। हकीकत यह है कि अभी तक बैंक ब्रांच खोलने की योजना में फिसड्डी रहे बिहार, ओडिशा व असम जैसे राज्यों में भी जन धन योजना शानदार तरीके से आगे बढ़ रही है। 11 नवंबर, 2014 तक बिहार के 74 फीसद परिवारों के खाते खुल चुके हैं। ओडिशा में 79, असम में 81 फीसद घरों में बैंक खाते हो चुके हैं। एक वर्ष पहले तक इन राज्यों में 40 से 50 फीसद परिवारों के पास ही बैंक खाता था। छह राज्यों में तो 90 फीसद घरों को बैंकों से जोड़ा जा चुका है। वित्त मंत्रालय को भरोसा है कि हर घर को बैंक खाते से जोडऩे का लक्ष्य मार्च, 2015 तक नहीं, बल्कि उसके तीन महीने पहले दिसंबर, 2014 तक ही पूरा हो जाएगा। निजी बैंक साबित हुए फिसड्डी सरकारी क्षेत्र के बैंक जन धन योजना को सफल बनाने में जोर-शोर से लगे हैं, वहीं निजी क्षेत्र के बैंक फिसड्डी साबित हो रहे हैं। 14 नवंबर, 2015 तक कुल 7.46 करोड़ खाते खोले गए हैं। इनमें महज दो लाख खाते ही निजी बैंकों ने खोले हैं। यस बैंक को 63 वार्ड आवंटित किए गए। यह अभी तक सिर्फ एक वार्ड में शाखा खोल पाया है। आइसीआइसीआइ लक्ष्य का महज 28 फीसद और कोटक मङ्क्षहद्रा बैंक महज 0.98 फीसद ब्रांच खोल पाया है। योजना अभी तक राज्य -- कुल परिवार -- बैंक खाते वाले परिवार -- अनुपात (फीसद में) आंध्र प्रदेश -- 1,17,42,913 -- 84,70,619 -- 72 असम -- 22,42,168 -- 18,23,096 -- 81 बिहार -- 73,91,308 -- 54,65,272 -- 74 चंडीगढ -- 1,88,628 -- 1,88,796 -- 100 हरियाणा -- 84,44,538 -- 67,65,407 -- 80 हिमाचल -- 10,92,272 -- 9,21,282 -- 84 झारखंड -- 32,21,608 -- 25,68,246 -- 80 उत्तर प्रदेश -- 2,52,91,765 -- 2,10,79,381 -- 83 जन धन योजना की शुरुआत करने के पांच हफ्ते बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंककर्मियों और स्टाफ को ईमेल भेजा है। इसमें प्रधानमंत्री ने उन्हें अब तक के किए गए काम के लिए बधाई देते हुए आगे तैयार रहने को कहा है। उन्होंने आगाह किया है कि प्रधानमंत्री जन धन योजना की डगर आगे मुश्किल होगी और वे कतई सुस्ती न बरतें। प्रधानमंत्री ने योजना को मिली अभूतपूर्व प्रतिक्रिया पर खुशी जाहिर करते हुए लिखा कि यह बैंककर्मियों और स्टाफ की मेहनत का ही नतीजा है। पांच हफ्तों के भीतर ही पांच करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए। पहले साल के लिए साढ़े सात करोड़ खाते खोलने का लक्ष्य रखा गया है। पीएम ने देश की बैंकिंग प्रणाली को हर तरह की चुनौती से निपटने में सक्षम बताया। साथ ही बैंककर्मियों के काम को संतोषजनक करार दिया। जन धन योजना को शुरू करने से पहले प्रधानमंत्री ने बैंककर्मियों और स्टाफ को 25 अगस्त को ईमेल भेजा था। 28 अगस्त को योजना की शुरुआत हुई थी। कठिन होगा काम बैंकर्स को प्रधानमंत्री ने लिखा कि सरकार की मंशा सभी नागरिकों का बैंक खाता खोलने की है। अब उनके खाते खोले जाने हैं जो छूट गए हैं। यह काम आसान नहीं होगा। कोशिशों में शिथिलता नहीं आनी चाहिए। वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए काफी प्रयासों की जरूरत होगी। बैंक मित्रों की बढ़ेगी भूमिका पीएम ने लिखा कि आधार नंबरों को बैंक खातों से जोड़ा जाना है। ई-केवाईसी जैसी सुविधाओं का उपयोग अधिक से अधिक बढ़ाना है। बैंक मित्रों को अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि हर खाताधारक तक बैंकिंग एजेंट नियमित रूप से पहुंच सकें।