Wednesday, 4 December 2024, 2:13:04 am

बड़े काम का है गूगल का यह स्मार्ट चम्मच, बनाया है एक भारतीय ने

रिपोर्ट: शंखनाद न्यूज़

गूगल ने एक स्मार्ट चम्मच पेश किया है, जो बड़े काम का है। यह स्मार्ट चम्मच उन मरीजों और लोगों के लिए बहुत मददगार है, जिन्हें हाथ कांपने की वजह से कुछ खाने-पीने में बहुत दिक्कत होती है।वैसे इसका पूरा श्रेय गूगल को देना ठीक नहीं होगा। दरअसल इस चम्मच को लिफ्ट लैब्स नाम के स्टार्टअप ने बनाना शुरू किया। गूगल ने यह टेक्नॉलजी देखी और उसने यह कंपनी खरीद ली। लिफ्ट लैब के फाउंडर भारतीय मूल के अनुपम पाठक ने बताया कि 4 लोगों से शुरू हुए इस स्टार्टअप के गूगल में जाने के बाद उन्हें इसमें टेक्नॉलजी के रिसर्च को लेकर ज्यादा आजादी मिलेगी। लिफ्टवेअर नाम का यह चम्मच सैकड़ों ऐल्गरिदम्स का इस्तेमाल करता है और चम्मच के हिलने को कम करता है। हाथ कांपने के बावजूद चम्मच के कम हिलने से मरीज पहले की तुलना में काफी आराम से खा सकते हैं। इसमें टेक्नॉलजी की मदद से यह देखा जाता है कि हाथ कैसे हिल रहा है और उस हिसाब से चम्मच अपने-आप बैलंस बनाता है। टेस्ट में यह पाया गया है कि लिफ्टवेअर चम्मच के हिलने को 76 फीसदी तक कर देता है। गूगल की प्रवक्ता केटलिन जबारी ने कहा, 'हम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में मदद करना चाहते हैं।' यूसी सैन फ्रांसिस्को मेडिकल सेंटर में न्यूरॉलजिस्ट और पार्किंसन जैसी बीमारियों की विशेषज्ञ डॉक्टर जिल ओस्ट्रिम ने इसे अद्भुत बताया है। उन्होंने इस चम्मच को बनाने में अपनी सलाह के जरिए मदद की थी। उन्होंने कहा, 'मेरे पास कुछ मरीज हैं, जो खुद से नहीं खा सकते। पहले किसी और को उन्हें खिलाना पड़ता था, लेकिन अब वे खुद खा सकते हैं। इससे बीमारी तो नहीं ठीक होती, लेकिन यह काफी सकारात्मक बदलाव है।' गूगल के को-फाउंडर सर्गेई ब्रिन की मां समेत दुनिया भर में एक करोड़ से ज्यादा ऐसे लोग हैं, जिन्हें पार्किंसन या ऐसी ही कोई बीमारी है। ब्रिन ने बताया कि वह पार्किंसन के इलाज के रिसर्च पर 5 करोड़ डॉलर दान कर चुके हैं। अब अनुपम पाठक की टीम गूगल(x) लाइफ साइंसेज़ में काम करती है। उन्होंने बताया कि गूगल में आने से वह प्रेरित हुए हैं, लेकिन उनका फोकस उन लोगों पर बना रहेगा, जो इस चम्मच की मदद से अब खुद खा सकते हैं। वह इसमें अभी और सेंसर्स लगाने वाले हैं, जिससे मेडिकल रिसर्चर्स को मदद मिलेगी। इस चम्मच की कीमत अभी तक 295 डॉलर (करीब 18 हजार रुपए) थी


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