पटना : बिहार के स्वस्थापित व्यवसायी और समय-समय पर ज्वलंत एवं सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों से समाज को जागरूक करने वाले देवप्रकाश सिंह ने दहेज प्रथा पर अपने विचार व्यक्त कर शाही अंदाज में सम्पन्न होनेवाले विवाह समारोह पर कई सवाल खड़े किये है| उन्होंने कहा कि आज जब प्रियंका- निक, रणवीर-दीपिका और अंबानी परिवार में होनेवाली शादी समारोह को देख कर आंखे चौन्धिया रही| ऐसी परिस्थिति में हम समाज को कैसे दहेज प्रथा से मुक्ति दिलाने कामयाब होंगे|
देवप्रकाश सिंह की माने तो सामान्य एवं मध्यम परिवारों में अगर लोग वर पक्ष को शादी में मोटर साईकल, घड़ी, अंगूठी जैसी छोटी चीजें भी देते हैं तो दहेज़ उन्मूलन के लिए बने कानून इसमें आड़े आता है| इसके साथ ही दहेज़ मुक्त समाज बनाने के अभियान में जुटे लोग भी तरह-तरह के नारे गढ़ कई प्रकार की दकियानूसी बातें करते हैं| लेकिन इसी देश और समाज में रहनेवाले संपन्न, पूंजीपति और रईस लोग जब अपने बच्चों की शादी करते तो बड़े ही शान से डंके की चोट पर कई तरह की बातें प्रचारित की जाती है, जैसे 3 लाख का निमंत्रण-पत्र, 500 करोड़ का बंगला, करोड़ों के जेवर, सोना-चांदी के टेबल, कुर्सी, थाली इसके बावजूद भी धनपुंगव कहते हैं कि मैं बेटी का बाप हूँ यदि अब भी कोई कमी रह गयी हो तो हमें क्षमा करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की बातें इस देश के अंदर दहेज़ उन्मूलन के लिए बने कानून का खुलमखुल्ला मखौल उड़ाता है| इसे देखकर भी दहेज़ उन्मूलन के पैरोकार मूकदर्शक-तमाशबीन बने रहते हैं और दहेज़ प्रथा के खिलाफ अभियान चलानेवाली सरकारें भी खामोश हो जाती है| देश के बड़े-बड़े नेता/मंत्री और रील लाइफ में बड़ी-बड़ी बातें करनेवाले और सामाजिक संदेश देनेवाले फ़िल्मी जगत के नायक/नायिका और महानायक तक भी ऐसी शाही शादियों में बेहिचक शामिल होते हैं और वह इसे अपने स्टेट्स सिंबल से जोड़कर देखते हैं|
देव प्रकाश सिंह ने कहा कि इस तरह के आडम्बरपूर्ण प्रदर्शन से समाज दिग्भ्रमित होगा और दहेज़ उन्मूलन समाज बनाने का अभियान कल्पनाओं और कागजों तक तब तक सिमटा रहेगा जब तक इसपर पाबंदी नहीं लगेगी| उन्होंने कहा कि इससे समाज में गलत संदेश का प्रसार हो रहा है क्योकि शादी दो व्यक्तियों का पाणिग्रहण है जिसमे बड़े-बुजूर्गों का आशीष एवं साक्ष्यता की आवश्यकता होती है न कि आडम्बर एवं धन का प्रदर्शन। देवप्रकाश सिंह ने कहा कि शादी एक पवित्र बंधन है| इसमें धन और शानो-शौकत का प्रदर्शन मानसिक खोखलेपन को दर्शाता है और इसका दुष्प्रभाव पूरे समाज पर पड़ता है| इसपर रोक लगाने के लिए हर किसी को पहल करनी होगी और इसकी शुरुआत अपने घर से ही करना होगा| तभी हम दहेज़ मुक्त और आदर्श समाज बनाने में कामयाब होंगे|