नागपुर : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर कार्यवाह (महासचिव) की जिम्मेवारी सुरेश जोशी उर्फ भैया जी जोशी की जगह दत्तात्रेय हसबोले को मिल सकती है| दत्तात्रेय हसबोले वर्तमान में सह सर कार्यवाह हैं, जो संघ में वरीयता क्रम में तीसरे नंबर का पद होता है और इस पद पर एक से अधिक वरिष्ठ प्रचारक होते हैं| वहीं, सर कार्यवाह का पद वरीयता क्रम में दूसरे नंबर पर होता है और इस पद पर एक ही व्यक्ति होता है.
सर कार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिन-प्रतिदिन के कार्यों का संचालन करते हैं और एक तरह से संगठन के कार्यकारी प्रमुख होते हैं. जबकि शीर्ष नेतृत्व सर संघ चालक के पास होता है जो संगठन के मार्गदर्शक व दार्शनिक के रूप में कार्य करते हैं. वर्तमान में इस शीर्ष पद पर मोहन भागवत हैं.
भैयाजी जोशी को मार्च 2015 में नागपुर में संघ के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में तीसरी बार संघ का सर कार्यवाह चुना गया था और उनका यह कार्यकाल तीन साल का था जो इसी महीने समाप्त हो रहा है. ऐसे में संघ को या तो उन्हें एक बार फिर अपने कार्यकारी नेतृत्व के लिए चुनना होगा या उनके उत्तराधिकारी का नाम तय करना होगा. और, इस बात की बहुत मजबूत संभावना है कि अगले सप्ताह नौ मार्च से 11 मार्च तक नागपुर में होने वाली संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भैयाजी जोशी की जगह दत्तात्रेय हसबोले को सर कार्यवाह चुन लिया जाएगा. भैयाजी जोशी पूर्व में सेवा भारती के प्रमुख थे.
संघ की प्रतिनिधि सभा हर साल होती है और दो साल अन्य जगहों पर आयोजन के बाद हर तीसरे साल प्रतिनिधि सभा की बैठक संघ मुख्यालय नागपुर में होती है. यह संघ का सर्वोच्च नीति निर्धारण आयोजन होता है, जिसमें आगे के तीन सालों के लिए नेतृत्व के स्तर के साथ कार्य एजेंडे पर भी निर्णय लिया जाता है. इस सभा में 1500 के करीब प्रतिनिधि शामिल होंगे. संघ की प्रतिनिधि सभा में संघ के वरिष्ठ प्रचारक विभिन्न मुद्दों पर खुल कर चर्चा करते हैं.
दरअसल, 2015 के प्रतिनिधि सभा में भी दत्तात्रेय हसबोले का नाम महासचिव के लिए आया था, लेकिन उस समय कुछ कारणों से उस पर फैसला टाल दिया गया था और भैयाजी जोशी को तीसरा टर्म दिया गया था. भैया जी जोशी के पहले सर कार्यवाह के पद पर मौजूदा संघ प्रमुख मोहन भागवत थे और उस समय संघ प्रमुख की जिम्मेवारी केसी सुदर्शन के पास थी. दत्तात्रेय हसबोले को सर कार्यवाह की जिम्मेवारी मिलने की स्थिति में सह सर कार्यवाह के पद पर किसी अन्य प्रचारक को भी पदोन्नत करना होगा.