पटना : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित 'संवाद' में 26वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की बैठक हुयी, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल हुये। बिहार के मुख्यमंत्री ने बैठक की मेजबानी की। लगभग तीन घंटे तक चली इस बैठक में बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के मंत्री और वरीय अधिकारी बैठक में शामिल हुये।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि यह खुशी की बात है कि आज पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की 26वीं बैठक पटना में आयोजित हो रही है। इस बैठक में मैं केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी का अभिनंदन एवं स्वागत करता हूँ जो इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। इस बैठक में आये हुये अन्य तीनों राज्यों के प्रतिनिधिगण तथा अन्य लोगों का स्वागत एवं अभिनंदन करता हूँ। उन्होंने कहा कि आप सब जानते हैं कि पहले बंगाल, उड़ीसा, बिहार एवं झारखण्ड एक ही राज्य था। वर्ष 1912 में बंगाल से अलग होकर 'बिहार एवं उड़ीसा' राज्य अस्तित्व में आये। वर्ष 1936 में बिहार से उड़ीसा अलग हो गया था और 23 वर्ष पूर्व वर्ष 2000 में बिहार से झारखण्ड अलग हो गया इसलिए इन चारों राज्यों की स्थिति लगभग एक जैसी है। जब से हम सरकार में हैं, पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की बैठकों में हमेशा जाते ही रहे हैं। हम 28 फरवरी, 2020 में उड़ीसा में आयोजित बैठक में भाग लिये थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की बैठक में केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के बीच कई मुद्दों पर बात होनी है। हम चाहते थे कि केन्द्र सरकार जातीय आधार पर जनगणना कराये। इसके लिए हमलोग शुरू से ही प्रयासरत थे। इसके लिए वर्ष 2019 एवं 2020 में बिहार विधानमंडल में सर्वसम्मति से जाति आधारित जनगणना के लिए प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा। फिर हम सभी दलों के प्रतिनिधियों के साथ प्रधानमंत्री जी से मिले। केन्द्र सरकार द्वारा इस पर कोई विचार नहीं किया गया। राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना करा ली है और इसके आंकड़ों को जारी किया गया, जिसके अनुसार बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है जिसमें 53 लाख 72 हजार 22 लोग बिहार के बाहर रह रहे हैं। 12 करोड़ 53 लाख 53 हजार राज्य में रह रहे हैं। जाति आधारित गणना में पिछड़ा वर्ग-27.12 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा-36.01 प्रतिशत, अनुसूचित जाति-19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति-1.68 प्रतिशत, सामान्य वर्ग-15.52 प्रतिशत की आबादी पायी गयी है। इन आंकड़ों के आधार पर सभी पार्टियों की सहमति से जिसमें भाजपा भी शामिल है समाज के सभी कमजोर वर्गों के सामाजिक उत्थान के लिए आरक्षण में इनकी भागीदारी बढ़ाने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आरक्षण की सीमा 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके लिए कानून पारित हो गया है। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए पूर्व से ही 10 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध है। सभी को मिलाकर कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो गया है। हमारी सरकार ने केन्द्र सरकार से आरक्षण के नये कानून को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने के लिए अनुरोध किया है। आशा है केन्द्र सरकार इसे शीघ्र ही संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करेगी। जाति आधारित गणना में लोगों की आर्थिक स्थिति की जानकारी ली गयी है। सभी जातियों में गरीब परिवार मिले हैं, जिनमें 25.09 प्रतिशत सामान्य वर्ग के 33.16 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग के, 33.58 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग के 42.93 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 42.70 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग गरीब हैं। सभी वर्गों में गरीब परिवारों की कुल संख्या 94 लाख है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीब परिवारों को आगे बढ़ाने के लिए इसके एक सदस्य को रोजगार हेतु 2 लाख रूपये तक की सहायता की योजना बनायी गयी है। जिन परिवारों के पास आवास घर नहीं है उन्हें जमीन खरीदने की राशि को 60 हजार से 1 लाख रुपये कर दिया है। मकान बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार रूपये दिये जायेंगे। वर्ष 2018 से "सतत जीविकोपार्जन योजना' के तहत अत्यंत निर्धन परिवार को रोजगार हेतु दी जा रही है। 1 लाख रूपये की सहायता राशि को बढ़ाकर 2 लाख रूपये कर दिया गया है। इन सब कार्यों में कुल मिलाकर 2 लाख 50 हजार करोड़ रूपये लगेंगे, जिसे अगले 5 सालों में पूरा कर लिया जायेगा। यदि केन्द्र सरकार द्वारा बिहार को' 'विशेष राज्य का दर्जा मिल जाय तो हम इस काम को बहुत कम समय में ही पूरा कर लेंगे। हम वर्ष 2010 से ही बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा की माँग कर रहे हैं। बिहार बहुत ही ऐतिहासिक राज्य है, लगातार विकास के बाद भी बिहार विकास के मापदंडों में राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है। बिहार, विशेष राज्य के दर्जे की सभी शर्तों को पूरा करता है। अब तो जाति आधारित गणना में गरीबी एवं पिछड़ेपन के आँकड़े भी इसका समर्थन करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि बिहार को विशेष राज्य के दर्जा देने के बारे में आप जरूर सोचेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की 26वीं बैठक में पधारने के लिए आप सभी को हम धन्यवाद देते हैं। आशा करते हैं कि बैठक के दौरान जो निर्णय होंगे वे चारों राज्यों के विकास में सहायक होंगे। हमें पूरी उम्मीद है कि गृह मंत्री जी देश भर में जातीय आधारित जनगणना कराने एवं बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के बारे में पहल जरूर करेंगे।
बैठक में बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी और जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा, पश्चिम बंगाल की मंत्री श्रीमती चन्द्रमा भट्टाचार्य, उड़ीसा के मंत्री प्रदीप कुमार आम्त, उड़ीसा के मंत्री तुषार कान्ति बेहरा, झारखण्ड के मंत्री रामेश्वर उरांव, झारखण्ड के मंत्री चम्पई सोरेन, केन्द्र सरकार के सचिवगण, चारों राज्यों के मुख्य सचिव, बिहार के पुलिस महानिदेशक, पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की सचिव तथा केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के वरीय अधिकारीगण उपस्थित थे।