कम भूमि पर खोले जा सकेंगे नए शीर्ष शिक्षण संस्थान,नई शिक्षा नीति जल्द सभी राज्यों में लागू होगी : ईरानी

रिपोर्ट: साभारः

नई दिल्ली। देश में शीर्ष शिक्षण संस्थानों की कमी को देखते हुए नए संस्थान खोलने से संबंधित नियमों को व्यवहारिक बनाया जा सकता है। शहरी इलाकों में जमीन की कमी को देखते हुए इनके लिए न्यूनतम भूमि की जरूरत में छूट देने के साथ ही एक ही इलाके में ऐसे कई संस्थान खोलने की योजना पर भी काम किया जा रहा है। इस संबंध में सुझाव देने के लिए बनाई गई समिति जल्दी ही इसके लिए अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपने वाली है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक ओर सरकार ने ऐसे कई नए संस्थान खोलने का एलान कर दिया है, जबकि पहले से ही घोषित बहुत से संस्थानों के लिए अब तक राज्यों से पर्याप्त भूमि नहीं मिल पाई है। देश में युवाओं को बेहतर कैरियर उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम), भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइआइटी) और राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान (एनआइटी) जैसे शीर्ष संस्थानों की संख्या को बढ़ाने में जुटी हुई है। जबकि भूमि की उपलब्धता लगातार समस्या बनती जा रही है। ऐसे में शीर्ष केंद्रीय शिक्षण संस्थानों को शुरू करने के नियमों की समीक्षा के लिए मंत्रालय ने एक समिति गठित की थी। अब तक की बैठकों में समिति ने तय किया है कि इन संस्थानों के लिए जमीन की न्यूनतम अर्हता व्यवहारिक नहीं है। इस समय आइआइटी खोलने के लिए पांच सौ एकड़ जमीन की जरूरत होती है, जबकि एनआइटी के लिए तीन सौ एकड़ और आइआइएम के लिए दो सौ एकड़ जमीन जरूरी होती है। समिति की रिपोर्ट में इस जरूरत को लगभग आधी तक करने की सिफारिश की जा सकती है। इसी तरह ऐसे अलग-अलग शिक्षण संस्थानों को एक साथ एक ही जगह पर खोलने का सुझाव भी दिया जा रहा है। एक साथ चलाए जाने से ये संस्थान आडिटोरियम और खेल के मैदान आदि साझा कर सकते हैं। समिति जल्दी ही अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे देगी। मंत्रालय इस रिपोर्ट के आधार पर फैसला करेगा।


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