चांद की सतह पर गिरने के बाद भी चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम नहीं टूटा बल्कि वह पूरी तरह सुरक्षित है| गौरतलब है कि ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर विक्रम का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था| ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले इसका संपर्क धरती पर मौजूद स्टेशन से टूट गया| सपंर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था| इस अभियान में 978 करोड़ रूपये की लागत लगी है।
रविवार को इसरो चीफ के सिवन ने कहा था कि इसरो ने चंद्रयान 2 के लैंडर 'विक्रम' की लोकेशन पता लगा ली है| उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रमा की सतह पर लैंडर 'विक्रम' की थर्मल तस्वीरें ली हैं| लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। ISRO अब ये पता लगाने की कोशिश करेगा कि क्या विक्रम में किसी तरह की कोई तकनीकी खराबी हुई जिस वजह से उससे संपर्क टूटा। साथ ही लैंडर को संदेश भेजने की कोशिश की जा रही है ताकि उसका कम्युनिकेशन सिस्टम ऑन किया जा सके। के.सिवन द्वारा दी गई इस जानकारी से नई उम्मीद जागी है।इसकी वजह ये हो सकती है कि विक्रम लैंडर के साइड में लगे छोटे-छोटे 4 स्टीयरिंग इंजनों में से किसी एक ने काम न किया हो। हो सकता है कि यही से सारी दिक्कतें शुरू हुई हो, वैज्ञानिक इसी बिंदु पर स्टडी कर रहे हैं। बता दें कि लैंडर का विक्रम का वजन 1471 किलोग्राम है।