नयी दिल्ली : विवादास्पद भूमि विधेयक को लेकर छिडी बहस के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विपक्षी दलों पर आदिवासी और वन भूमि मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस तरह की मुहिम से देश के हितों को चोट पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि भूमि विधेयक के दायरे में आदिवासी और वन भूमि नहीं आती है और इसका अलग कानूनों के जरिए संरक्षण होता है. मोदी ने कहा, ‘‘भूमि विधेयक में जिक्र नहीं है..विधेयक में आदिवासी और वन भूमि पर शब्द नहीं है. आदिवासी और उनकी जमीन भूमि विधेयक के दायरे में नहीं आती. अब भी जिन्हें जानकारी नहीं है, यह अभियान 24 घंटे चला रहे हैं. वे जानते नहीं हैं.’’ उन्होंने कहा कि मुद्दे पर समाज को ‘‘गुमराह’’ करने की कोशिश की जा रही है. राज्य के पर्यावरण और वन मंत्रियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आपके लिए भले ही एक छोटा मुद्दा होगा, आपके राजनीतिक सिद्धांतों का विषय होगा. लेकिन महसूस कीजिए कि कैसे यह देश को चोट पहुंचा रहा है.’’ उन्होंने कहा कि चल रहा अभियान खत्म होना चाहिए. मोदी ने कहा, ‘‘तथ्यों और हकीकत पर आधारित चर्चा का स्वागत है. आखिरकार, यह लोकतंत्र है. लेकिन, जब सच में वजन नहीं होता आप झूठ फैलाते हैं. एक देश इस तरह नहीं चलता.’’ मोदी की टिप्पणी राज्यसभा में भूमि विधेयक पर सर्वसम्मति बनाने की सरकार की कोशिश की पृष्ठभूमि में आयी है, जहां राजग के पास पर्याप्त संख्या नहीं है. नौ आधिकारिक संशोधनों के साथ लोकसभा में पारित भूमि विधेयक को राज्यसभा में पारित कराने में कठिनाई हो रही है. इससे पहले लाया गया भूमि संबंधी अध्यादेश पांच अप्रैल को खत्म हो चुका है. बजट सत्र के दौरान संसद में इसके कानून की शक्ल नहीं ले पाने के बाद पिछले सप्ताह फिर इसे लागू किया गया. भाजपा ने अपने सांसदों और वरिष्ठ नेताओं से कहा है कि वे लोगों को पूर्व संप्रग सरकार द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनस्र्थापन कानून में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार में संशोधन का फायदा बताएं.