वर्ष 1992 में हुए बाबरी विध्वंस केस में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की स्पेशल कोर्ट ने 28 साल बाद बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। सीबीआई कोर्ट ने घटना को स्वतः स्फूर्त माना और कहा कि अभियोजन पक्ष, आरोपियों पर अभियोग साबित करने में नाकाम रहा. सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने 2300 पन्नों में इस ऐतिहासिक केस का फैसला लिखा। कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद को साजिश के तहत नहीं गिराया गया था। यह अचानक हुई घटना थी। 06 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस घटना में 49 आरोपी थे। हालांकि 28 साल तक चली सुनवाई के दौरान 17 आरोपियों की मौत हो गई। बाकी बचे 32 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया।
सीबीआई कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए राम जन्मभूमि मामले में मुद्दई रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि हम भारत के नागरिक हैं. देश के संविधान का, देश के कानून का सम्मान करते हैं. इकबाल अंसारी ने कहा कि हमने नवंबर में राम जन्मभूमि केस को लेकर आए फैसले का भी सम्मान किया था.
उन्होंने कहा कि यह विवाद अब समाप्त हो जाना चाहिए. इकबाल अंसारी ने कहा कि यह मामला 28 साल पुराना है. अधिकतर आरोपी बुजुर्ग हो गए हैं. उन्हें राहत मिलेगी. अंसारी ने कहा कि अब आगे देखने की जरूरत है.
16 सितंबर को सुनवाई पूरी कर लेने के बाद सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने अंतिम फैसले के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की थी। उन्होंने सभी 32 आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने के लिए कहा था। हालांकि 6 लोग स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कोर्ट में पेश नहीं हुए और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट की कार्यवाही से जुड़े। कोर्ट नहीं पहुंचने वालों में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, सतीश प्रधान और नृत्य गोपाल दास शामिल थे।
कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे काला दिन बताया
बाबरी विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुधीर कक्कड़, सतीश प्रधान, राम चंद्र खत्री, संतोष दुबे, ओम प्रकाश पांडे, कल्याण सिंह, उमा भारती, राम विलास वेदांती, विनय कटियार, प्रकाश शारना, गांधी यादव, जय भान सिंह, लल्लू सिंह, कमलेश त्रिपाठी, बृजभूषण सिंह, रामजी गुप्ता, महंत नृत्य गोपाल दास, चंपत राय, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, धर्मदास, जय भगवान गोयल, अमरनाथ गोयल, साध्वी ऋतंभरा, पवन पांडे, विजय बहादुर सिंह, आरएम श्रीवास्तव और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर आरोपी थे, जिन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को बरी कर दिया।
कोर्ट ने अखबारों को साक्ष्य नहीं मानते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले और आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी। हम सिर्फ तस्वीरों के आधार पर ही किसी को दोषी नहीं बना सकते हैं और जिन्हें आरोपी बनाया गया, उन्होंने बाबरी के ढांचे को बचाने की कोशिश की। अदालत ने कहा कि 12 बजे विवादित ढांचा के पीछे से पथराव शुरू हुआ। अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे, क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं। कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया था। विशेष सीबीआई जज सुरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना में साजिश के पुख्ता सबूत नहीं है और वीडियो कैसेट के सीन भी स्पष्ट नहीं है|