डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) द्वारा ईजाद की गयी टेक्नोलॉजी के सफल परीक्षण से एक नयी उम्मीद जगी है| इस टेक्नोलॉजी के सफल टेस्ट के साथ ही DRDO अब दुनिया के कुछ उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है जिनके पास लंबी दूरी की हवा से हवा में मिसाइलें विकसित करने की क्षमता है| ओडिशा के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (SFDR) टेक्नोलॉजी पर आधारित फ्लाइट टेस्ट को सफलतापूर्वक अंजाम दिया| बूस्टर मोटर और नोजल रहित मोटर समेत बाकी सभी टेक्नोलॉजी भी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन पर खरी उतरीं| टेस्ट के दौरान, सॉलिड फ्यूल आधारित डक्टेड रैमजेट टेक्नोलॉजी के साथ ही बाकी टेक्नोलॉजी का टेस्ट भी सही साबित हुआ| इस सफल टेस्ट के साथ ही भारतीय वायुसेना और ज्यादा ताकतवर हो गई है|
एसएफडीआर पर साल 2013 में काम होना शुरू हुआ था| इस टेक्नोलॉजी को पांच साल के अंदर पूरा होना था और इसके बाद इसका टेस्ट होना था| लेकिन इसमें किन्हीं वजहों से देरी हो गई| फिलहाल अब जबकि इस टेक्नोलॉजी का सफल परीक्षण हो चुका है तो माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में वायुसेना की क्षमताओं में इजाफा होगा|इस टेस्ट के दौरान एयर लॉन्च परिदृश्य को बूस्टर मोटर का प्रयोग करके सिम्युलेट किया गया था| इसके बाद नोजल रहित बूस्टर ने इसको रैमजेट ऑपरेशन के लिए आवश्यक मैक नंबर पर लॉन्च किया गया| टेस्ट के दौरान आईईटीआर द्वारा तैनात इलेक्ट्रो ऑप्टिकल, रडार और टेलीमेट्री उपकरणों द्वारा हासिल किए गए आंकड़ों का प्रयोग करके की गई थी| टेस्ट के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ समेत इंडियन एयरफोर्स और रक्षा क्षेत्र के वैज्ञानिकों को बधाई दी|