मोदी सरकार और अनिल अंबानी ने किया भारतीय शहीदों का अपमान : राहुल गाँधी

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

राफेल डील को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के खुलासे के बाद इस मसले पर फ्रांस ने  कहा है कि फ्रांस सरकार किसी भी तरह भारतीय साझेदार के चुनाव में शामिल नहीं है जिसका चयन फ्रेंच कंपनी ने किया है या करने वाली है| भारतीय ख़रीद प्रक्रिया के मुताबिक फ़्रांसीसी कंपनी को पूरी छूट है कि वो जिस भी भारतीय साझेदार कंपनी को उपयुक्त समझे उसे चुने| फिर उन ऑफ़सेट प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए भारत सरकार के पास भेजे, जिसे वो भारत में अपने स्थानीय साझेदारों के साथ अमल में लाना चाहते हैं| ताकि वे इस समझौते की शर्तें पूरी कर सके| 
इसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर मोदी सरकार और रिलायंस कंपनी के मालिक अनिल अंबानी पर निशाना साधा| उन्होंने कहा कि इन्होंने भारतीय शहीदों का अपमान किया है| राहुल गांधी ने राफेल सौदे पर ट्वीट कर कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति अनिल अंबानी ने संयुक्त रूप से रक्षा बलों पर एक लाख 30 हजार करोड़ की 'सर्जिकल स्ट्राइक' की है| प्रधानमंत्री मोदी आपने हमारे जवानों की शहादत का अपमान किया, आपने भारत की आत्मा से धोखा किया है|'

गौरतलब है कि राफेल डील को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा है कि अनिल अंबानी के रिलायंस का नाम उन्हें भारत सरकार ने सुझाया था| उनके पास और कोई विकल्प नहीं था| एक फ़्रेंच अखबार को दिए इंटरव्यू में ओलांद ने कहा कि भारत सरकार के नाम सुझाने के बाद ही दसॉल्ट एविएशन ने अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस से बात शुरू की| बता दें कि अप्रैल 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की यात्रा पर गए थे तब फ्रांस्वा ओलांद ही राष्ट्रपति थे| उन्हीं के साथ राफेल विमान का करार हुआ था|

उल्लेखनीय है कि राफेल करार में एक फ्रेंच मीडिया ने कथित तौर पर पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के हवाले से सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि अरबों डॉलर के इस सौदे में भारत सरकार ने अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को दसॉ एविएशन का साझीदार बनाने का प्रस्ताव दिया था| इस नए खुलासे के बाद विपक्ष को मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिये नये सिरे से मौका मिल गया है|

फ्रेंच भाषा के एक प्रकाशन 'मीडियापार्ट' की खबर में ओलांद के हवाले से कहा गया है, 'भारत सरकार ने इस सेवा समूह का प्रस्ताव दिया था और दसॉ ने (अनिल) अंबानी समूह के साथ बातचीत की| हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, हमने वह वार्ताकार लिया जो हमें दिया गया|' यह पूछे जाने पर कि साझीदार के तौर पर किसने रिलायंस का चयन किया और क्यों, ओलांद ने कहा, 'इस संदर्भ में हमारी कोई भूमिका नहीं थी|'


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