पृथ्वी पर जैव विविधता अपने आप में अनुपम उपहार है। यह उपहार सभी के लिए समान अधिकार, कर्तव्य, आजीविका और एक दूसरे की रक्षा के लिए है। वातावरण जितना स्वस्थ रहेगा हमारी जलवायु उतनी ही स्वस्थ होगी। पर्यावरण से छेड़छाड़ के कारण जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। जिसका असर दैनिक कार्यकलापों पर भी लगातार दिख रहा है। आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित रखने के लिए मिट्टी, जल, वायु को प्रदूषण मुक्त रखना आवश्यक है। इसको लेकर सभी प्रकार के वृक्षों एवं जीवों को संरक्षित रखना होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की। जल और हरियाली है तभी जीवन सुरक्षित है। इस अभियान के तहत जल संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देने के लिए 11 सूत्री कार्यक्रम तय किये गये हैं। राज्य सरकार अगले 3 वर्षों में इस अभियान पर 24,500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इस अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण के लिए पईन, आहर, पोखर और तालाबों का जीर्णोद्धार कर जल संचयन पर जोर दिया जा रहा है। सभी भवनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की शुरूआत की गई और निजी भवनों को इसके लिए प्रोत्याहित किया जा रहा है ताकि भूजल के स्तर को बढ़ाया जा सके।
बिहार से झारखंड अलग होने के बाद बिहार का हरित आवरण क्षेत्र सिर्फ 9 प्रतिशत रह गया था। हरित आवरण क्षेत्र बढ़ाने के लिए बिहार सरकार ने हरियाली मिशन की स्थापना की । इसके अंतर्गत 24 करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया था, जिसके तहत 22 करोड़ से ज्यादा वृक्षारोपण किया गया। राज्य का हरित आवरण क्षेत्र अब करीब 15 प्रतिशत तक पहुंच गया है। हरित आवरण 17 प्रतिशत प्राप्त करने को लेकर प्रयास किये जा रहे हैं। 9 अगस्त को बिहार पृथ्वी दिवस के अवसर पर 2.51 करोड़ पौधे लगाकर इस लक्ष्य को प्राप्त करने में और सहूलियत होगी। वन क्षेत्रों के बाहर भी राज्य में वृक्षारोपण कार्य तेजी से चल रहा है। इस अभियान में वृक्षारोपण कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया है ताकि जनसहभागिता अधिक से अधिक होने से ज्यादा लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ेगी। 66 लाख जीविका दीदियां इस कार्यक्रम से जुड़ी हैं। ये अपने घर- आंगन में भी पौधे लगा रही हैं ताकि पौधे सुरक्षित रह सकें। कृषि वानिकी के तहत बड़े पैमाने पर किसानों को जोड़ा गया है। 12 लाख से ज्यादा पौधे किसानों ने कृषि वानिकी के तहत अपने खेतों में लगाये हैं। इस अभियान में स्वंयसेवी संस्थाओं, केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों और केंद्रीय उपक्रमों को भी साथ जोड़ा गया है। रेलवे और एनटीपीसी के द्वारा लगभग 5 लाख पौधे लगाये गये हैं। केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ और एसएसबी के द्वारा भी पौधे लगाये जा रहे हैं। बिहार चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, लायंस क्लब, रोटरी क्लब, धार्मिक न्यास पर्षद, शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा भी पौधारोपण कराया जा रहा है। इन सभी संस्थाओं को सरकार पौधे उपलब्ध करा रही है बाकी खर्च वो अपने संस्थाओं की ओर से कर रहे हैं। राज्य के सभी सड़कों के किनारे भी वृक्षारोपण कार्य तेजी से किये जा रहे हैं।
राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ लोगों को प्रकृति से जोड़ने को लेकर भी राज्य सरकार तेजी से काम कर ही है। राजगीर का जू सफारी और नेचर सफारी का कार्य भी प्रगति पर है। वेणुवन का विस्तारीकरण का कार्य भी चल रहा है। राजगीर जू सफारी पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान के बाद बिहार का दूसरा जू होगा। इसके अलावे 110 एकड़ में एक जैव विविधता पार्क जमुई के माधोपुर में भी बनाया जा रहा है जहां पूरे बिहार में पायी जाने वाली वृक्षों का समावेश किया गया है। यहां आइलैंड, तालाब और पेड़ पौधे एक साथ आकर्षक रुप में दिखेंगे। अररिया के रानीगंज के जैव विविधता पार्क में राज के दूसरे चिड़ियाघर स्थापित करने के लिए कार्य शुरु किया गया है। वाल्मीकिनगर दुनिया के सघन वन क्षेत्रों में एक है। इसको सुरक्षित रखते हुए और विकसित किया गया है। वहां ब्याघ्रों की भी संख्या पहले से अधिक हो गई है।
राज्य में जनसंख्या का घनत्व अघिक है। कृषि योग्य भूमि की अघिकता है। इसके बावजूद सरकार राज्य का हरित आवरण क्षेत्र बढ़ाने के लिए कृतसंकल्पित है। जिसे लेकर अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जा रहा है।