नांगल चौधरी (हरियाणा). कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकियों से एनकाउंटर के दौरान 14 फरवरी को शहीद हुए मेजर सतीश दहिया ने पत्नी को शादी की सालगिरह पर तोहफा भेजा था। इसे इत्तफाक ही कहेंगे कि मेजर की पत्नी सुजाता को यह तोहफा पति की शहादत से महज 4 घंटे पहले मिला था। दोपहर 3 बजे सुजाता को पार्सल मिला और शाम 7 बजे सतीश शहीद हुए। परिवार को रात 9 बजे इसकी खबर मिली। शहीद मेजर की पत्नी ने बताया कि वेलेन्टाइन्स डे के दिन उन्हें दोपहर 3 बजे एक पार्सल मिला था। वे उस दौरान जयपुर में थीं। पार्सल सतीश ने भेजा था। पार्सल खोला तो उसमें बेटी के लिए कपड़े, उनकी एनिवर्सरी के लिए केक, कैंडल, एक ग्रीटिंग कार्ड और गोवा की दो टिकट थीं। गोवा की टिकट उनकी छठी मैरिज एनिवर्सरी के दिन यानी 17 फरवरी को बुक थी। - इस पार्सल के खोलने के बाद सुजाता की सतीश से बात भी हुई थी। - मेजर सतीश पत्नी सुजाता से कहा करते थे कि वे एक दिन राष्ट्रपति मेडल जरूर लेंगे। नारनौल जिले में है शहीद का पैतृक गांव - शहीद मेजर सतीश दहिया नारनौल जिले के बनिहाड़ी गांव के रहने वाले थे। - 2008 में उन्होंने एनडीए एग्जाम पास की। दो साल की ट्रेनिंग करने के बाद उन्होंने जम्मू में बतौर लेफ्टिनेंट ज्वाइन किया। - 17 फरवरी 2011 को निजामपुर के नजदीक पवेरा गांव में सुजाता चौधरी के साथ उनकी शादी हुई। - 2012 में सतीश को प्रमोशन मिला। पिछले डेढ़ साल से जम्मू के हंदवाड़ा में तैनात थे। पिता से कहा था- कामयाब होने पर कॉल करूंगा - 14 फरवरी को बॉर्डर से करीब 20 किलोमीटर अंदर हंदवाड़ा में आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली। इसके बाद सेना, सीआरपीएफ और पुलिस की सर्च टीम बनाई गई। - मेजर सतीश दहिया ने 4.30 बजे अपनी पत्नी सुजाता चौधरी से बात की। इसके बाद 4.45 बजे पिता अचल दहिया से संपर्क किया। - सतीश ने जब घर फोन किया तो उन्होंने कहा- "पापा, रिहाइशी इलाके में आंतकी घुस गए, सर्च मिशन में जुटा हुआ हूं। कामयाब होने पर मैं दोबारा कॉल करुंगा, आप मत करना।" इसके बाद वे सीआरपीएफ के साथ ज्वाइंट सर्च मिशन में जुट गए। - जिस इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की इन्फॉर्मेशन मिली थी, वह मेजर सतीश की यूनिट के तहत नहीं आता था। लेकिन उन्होंने कंपनी कमांड को रिक्वेस्ट भेजकर इंचार्ज बनाने की मांग रखी थी। - कंपनी कमांडर ने उन्हें अगुआई करने की इजाजत दे दी। उनके साथ सीआरपीएफ और पुलिस टुकड़ी को भेजा गया। ऐसा चला ऑपरेशन - शाम पांच बजे ऑपरेशन शुरू हुआ। मेजर सतीश ने फ्रंट में मोर्चा संभाला। करीब 35 मिनट के दौरान पुरानी खंडहर हवेली में छिपे तीन आतंकियों को उन्होंने ढेर कर दिया। - इसी दौरान लोकल लोगों ने टीम पर पथराव कर दिया। भीड़ की आड़ लेकर आतंकियों ने सेना पर गोलीबारी कर दी। - आम लोगों की भीड़ होने के चलते मेजर सतीश ने फायरिंग करना ठीक नहीं समझा। लेकिन आतंकियों की तरफ से फायरिंग जारी थी। - इसी दौरान मेजर सतीश दहिया के सीने में गोली लगी। वे बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन ज्यादा खून बह जाने के चलते वे शाम करीब 7 बजे शहीद हो गए।