मोदी सरकार ने एस जयशंकर को रिटायरमेंट के महज तीन दिन पहले विदेश सचिव नियुक्त किया। लगभग छह महीने का कार्यकाल शेष रहने के बाद भी सुजाता सिंह को इस्तीफा देना पड़ा। नौकरशाही में इतने बड़े फेरबदल की नजीर हालिया सालों में नहीं देखी गई। जानकारों का कहना है कि इससे पहले ऐसा फेरबदल राजीव गांधी के जमाने में किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उस समय विदेश सचिव एपी वेंकटेश्वरन को हटा दिया था। हालांकि उस फैसले पर बहुत ही विवाद हुआ, राजीव को आईएफएस लॉबी के विरोध का सामना भी करना पड़ा। एस जयशंकर 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हार्दिक इच्छा थी कि उन्हें विदेश सचिव बनाया जाए। जयशंकर अगर रिटायर हो जाते तो उन्हें विदेश सचिव बनाना संभव न होता। यही कारण था कि सरकार ने एक अप्रत्याशित फैसले के तहत सुजाता सिंह का इस्तीफा ले लिया, जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त कर दिया। विदेश सचिव बनने के बाद जयशंकर को दो साल का अतिरिक्त कार्यकाल भी मिल गया। आखिर जयशंकर में ऐसी क्या खूबी है कि सरकार ने उन्हें विदेश सचिव बनाया