नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के पहले पूर्ण बजट से पहले निवेश आकर्षित करने, रोजगार सृजन तथा वित्तीय ढांचे पर आज यहां अर्थशास्त्रियों के विचार सुने. नीति आयोग की पहली बैठक में हुए इस विचार विमर्श के दौरान प्रधानमंत्री ने देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों के बीच विभिन्न सुझावों पर खुलकर चर्चा कराई. इसके बाद अब रविवार को मुख्यमंत्रियों के साथ एक और बैठक होगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, \'नीति आयोग ने आज बैठक आयोजित की. कुछ प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ यह बैठक अर्थव्यवस्था की स्थिति और निवेश बढाने, वृद्धि व आम बजट को लेकर कुछ विशेष सुझावों पर थी.\' जेटली 2015-16 का बजट 28 फरवरी को पेश करेंगे. उन्होंने कहा कि ये सुझाव मुख्य रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊंची वृद्धि की रुपरेखा पर थी. वित्त मंत्री ने कहा, \'इसके अलावा बैठक में बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण, किस तरह निवेश लाया जाए, घरेलू बचत को कैसे प्रोत्साहित किया जाए और कृषि क्षेत्र की स्थिति पर भी विचार विमर्श हुआ.\' जेटली ने कहा कि नीति आयोग एक \'बौद्धिक संस्थान\' भी है और आज की बैठक इसी परिप्रेक्ष्य में थी. बैठक में सरकार की कई प्रमुख योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सुझावों पर भी विचार विमर्श हुआ. इसके साथ ही इस विषय पर भी चर्चा हुई कि गरीबी के स्तर को कैसे नीचे लाया जाए. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन, आयोग के पूर्णकालिक सदस्य विवेक देवराय और वी के सारस्वत, वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा, योजना मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान, सुबीर गोकर्ण, अशोक गुलाटी तथा जी एन वाजपेयी भी बैठक में मौजूद थे. नीति आयोग एक जनवरी को अस्तित्व में आया है. सरकार ने योजना आयोग को समाप्त कर दिया है. यह पूछे जाने पर कि क्या बैठक में आयोग को सांविधिक दर्जा देने पर भी चर्चा हुई, जेटली ने इससे इनकार किया. एक अन्य सवाल पर उन्होंने बताया कि सरकारी सब्सिडी से संबंधित मुद्दों पर भी बैठक में विचार विमर्श नहीं हुआ.