पार्टी बचाने की कोशिश है राजद का खुला अधिवेशन: राजीव रंजन

रिपोर्ट: रमेश पाण्डेय

पटना : राजद के आज आयोजित अधिवेशन को पार्टी बचाने की कवायद बताते हुए भाजपा प्रवक्ता व पिछड़े समाज के नेता राजीव रंजन ने कहा “ राजद के अंदरखाने में छिड़ा महायुद्ध अब किसी से छिपा नही है. लोग बताते हैं कि राजद के युवराजों के दिन प्रतिदिन बढ़ते अहंकार और तानाशाही से आज़िज आ कर पार्टी के कई कार्यकर्ता और नेताओं ने तेजस्वी के खिलाफ अंदर ही अंदर मोर्चा खोला हुआ है. इनकी पार्टी का यह तथाकथित अधिवेशन दरअसल इन्ही नेताओं की आवाजों को शांत करने के लिए आयोजित किया जा रहा है. दरअसल लोकसभा में चुनावों में पार्टी की लुटिया डुबोने के बाद से तेजस्वी जी के लगातार गायब रहने के कारण राजद पूरी तरह से हाशिए पर चला गया है. इनके नेता व कार्यकर्ता अपने भविष्य को लेकर सशंकित हो उठे हैं, इन्हें समझ में आ गया है कि राजद के साथ रहते हुए विधायक बनना तो दूर, पंचायत के चुनाव जीतना भी मुश्किल है. इसके अलावा तेजस्वी जी के इर्द-गिर्द परिक्रमा करने वाले फाइवस्टारी सलाहकारों के कारण भी कई नेता अंदर ही अंदर खौल रहे हैं. जानकारों की माने तो इन सलाहकारों ने तेजस्वी जी को इस कदर घेरा हुआ है कि जमीनी नेता उन तक पहुंचना तो दूर, उन तक अपना पैगाम भी नहीं भिजवा पाते हैं. यही कारण है कि इनके नेता एक-एक करके पार्टी से निकलते जा रहे हैं और आगे यह भगदड़ और तेज होगी.”

श्री रंजन ने कहा “ लोग अच्छे से जानते हैं कि राजद तेजस्वी जी की पॉकेट पार्टी है, जहां लोकतंत्र का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं है. यही कारण है कि अपने कहीं ज्यादा अनुभवी नेताओं का हक़ मार तेजस्वी जी आज राजद के सबसे प्रमुख नेता बने हुए हैं. लेकिन अनुभव न होने की वजह से आज  तेजस्वी जी से न तो अपनी पार्टी संभल रही है और न ही महागठबंधन के दुसरे दल उन्हें भाव दे रहे हैं. इसके अतिरिक्त जमीन पर आ कर राजनीति करना उनके जैसे शाही जिंदगी जीने वालों से संभव ही नही है. उन्हें पता है कि वर्तमान हालत में कभी भी राजद के कार्यकर्ता उनके खिलाफ विद्रोह कर सकते हैं. इसीलिए इस अधिवेशन के सहारे वह फिर से अपने कार्यकर्ताओं के बीच प्रासंगिक होने का प्रयास कर रहे हैं.”

 


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