पटना : नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों, खासकर पूर्वोत्तर राज्यों में जारी हिंसक घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए असली देशी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन यादव ने शांति व्यवस्था बनाये रखने की अपील की है| उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून देशहित और जनहित में है| इससे शरणार्थी और घुसपैठियों में फर्क करने में आसानी होगी| गैरकानूनी तरीके से देश के अंदर रह रहे वैसे घुसपैठियों को बाहर करने का रास्ता साफ़ होगा जो भारत में रहकर यहां के सौहार्दपूर्ण सामाजिक ताना-बाना को धवस्त कर असामाजिक गतिविधियों में लिप्त रहा करते हैं| यह बिल देश की स्थिति को बदलने वाला है और आने वाले समय में इससे देश में बदलाव महसूस होगा।
गौरतलब है कि इस वक्त नागरिकता संशोधन कानून पर देशभर में बवाल मचा हुआ है| पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा और नगालैंड समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं| विदेश में भी अब नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे हैं| प्रदर्शनकारियों की माने तो यह धर्म को बांटने वाला और धार्मिक भेदभाव पर आधारित कानून है|
क्या है नागरिकता (संशोधन) अधिनियम-2019
भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसके द्वारा सन 1955 की नागरिकता कानून को संशोधित करके यह व्यवस्था की गयी है कि 31 दिसम्बर सन 2014 के पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिन्दू, बौद्ध, जैन, पारसी एवं ईसाई शरणार्थियों को भारत की नागरिकता प्रदान की जा सकेगी। इस विधेयक में भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए आवश्यक 11 वर्ष तक भारत में रहने की शर्त में भी ढील देते हुए इस अवधि को केवल 6 वर्ष तक भारत में रहने की शर्त के रूप में बदल दिया गया है।
श्री यादव ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति करनेवाली कुछ गिने-चुने पार्टियों के नेता इस कानून का विरोध कर अपनी सियासी रोटी सेकने में जुटे हैं, लेकिन इससे उन्हें कोई लाभ नहीं मिलनेवाला| भारतीय मूल के बुद्धिजीवी मुस्लिमों को भलीभांति यह पता है कि इस कानून से उन्हें किसी प्रकार की हानि नहीं होनेवाली है| इसलिए, हर वर्ग को इस कानून का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के चहुओर मुस्लिम देश हैं, जहां से हर वर्ग-समुदाय के लोग भारत आते रहते हैं। ऐसे में यह कानून अब तक देश के अंदर बैठकर देश को लूट रहे घुसपैठियों को रोकने का काम करेगा। ललन यादव ने कहा कि सम्पूर्ण संसाधनों पर देश के अंदर रह रहे हर नागरिक का समान अधिकार है। लेकिन नागरिकता संशोधन कानून के नाम पर किसी के साथ जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए, चूंकि भारत देश की विशेषता यहां की अनेकता है जो हर हाल में बरकरार रहनी चाहिए।