हिंदु धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान शिव के प्रसाद के रूप में प्रचलित भांग का इस्तेमाल 10 हजार साल पहले पाषाणकाल में भी होता था और संभवत उस वक्त इसका इस्तेमाल नशे के लिए बल्कि खाद्य सामग्री और कपड़े बनाने के लिए किया जाता था। ब्रिटिश दैनिक डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि जर्मन पुरातत्व संस्थान के शोधकर्ता टेंगवेन लांग के मुताबिक पाषाण काल से ही लोग भांग के पौधे की खेती कर रहे हैं। हालांकि उस समय इसका इस्तेमाल नशे के लिये नहीं बल्कि इसके बीज से मिलने वाले पोषक तत्व और कपड़े बनाने वाले रेशों के लिए होता था। विशेषज्ञों के अनुसार यूरोप और एशिया की जनजातियाें ने लगभग एक ही समय में इसकी खेती शुरू की लेकिन आज के दौर के तरह उस समय इसका इस्तेमाल नशे के लिये नहीं हाेता था। उस वक्त कबाइलियों ने पोषक तत्वों से भरपूर बीजों तथा रेशों के लिए भांग को खेती के लिए चुना था। इस शोध के मुताबिक कबाइलियों ने शराब के इस्तेमाल से तीन हजार वर्ष पहले ही नशे के लिये भांग का इस्तेमाल शुरू कर दिया था और आज से लगभग पांच हजार वर्ष पहले कांस्य युग में इसका व्यापार शुरू किया गया।