चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। यह चुनाव भारत और दुनिया के इतिहास में सबसे महंगा चुनाव साबित होने वाला है। इसमें सरकारी खर्च भी शामिल है।
अमेरिकी थिंक टैंक “कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ में सीनियर फेलो तथा दक्षिण एशिया कार्यक्रम के डायरेक्टर मिलन वैष्णव के मुताबिक ‘2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव तथा कांग्रेस चुनावों में 650 करोड़ डॉलर यानी करीब 46,000 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में 500 करोड़ डाॅलर यानी करीब 35 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे। 2019 के चुनाव में यह आंकड़ा करीब दोगुना होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि इस बार 70 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। 2014 में उम्मीदवार के खर्च की सीमा 40 लाख रुपए से बढ़ाकर 70 लाख रुपए की गई थी। सिक्किम, अरुणाचल, गोवा जैसे राज्यों में यह 54 लाख रुपए थी।
67 साल में 342 गुना बढ़ गया सरकार का भी चुनावी खर्च
1952 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, जबकि 2014 लोकसभा चुनाव पर करीब 3,426 करोड़ रुपए खर्च हुए। इनमें पार्टियों और उम्मीदवारों का खर्च शामिल नहीं है। 500 करोड़ डॉलर यानी करीब 35 हजार करोड़ रुपए का खर्च हुआ था 2014 के लोकसभा चुनाव में।