मछली शिकारमाही प्रतिबंध से गरीब मछुआरों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या हुई उत्पन्न : ऋषिकेश कश्यप

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

पटना : बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ लि0 (कॉफ्फेड) पटना के प्रबंध निदेशक-सह-फिश्कोफेड, नई दिल्ली के निदेशक ऋषिकेश कश्यप निषाद ने प्रेस  बयान जारी कर कहा कि राज्य सरकार द्वारा 15 जून से 15 अगस्त 2020 तक गंगा, गंडक एवं अन्य सदाबहार नदियों में मछली शिकारमाही पर रोक लगाई गई है। सरकार के इस कदम से राज्य के लाखों मछुआ बेरोजगार हो जायेंगे। बेरोजगारी से बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने मछुआरों के लिए राहत एवं बचत योजना लागू की है।

ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि केन्द्र सरकार ने यह नीति बनायी है कि जिन राज्यों की सरकारें अधिनियम के द्वारा मानसून में सदाबहार नदियों में मछली शिकारमाही पर प्रतिबंध लगाएगी, उन राज्य के मछुआरों को केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा राहत दिया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत मछुआरों को 3000 रूपये (33.3 प्रतिशत) की सहायता राशि उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है| इसके अलावा तीन-तीन हजार रूपये की सहायता राशि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा भी मछुआरों को उपलब्ध कराया जाता है| इस प्रकार दो माह के लिए प्रति मछुआरा कुल 9,000 रूपये की राशि मछुआरों के बीच वितरित किये जाने का प्रावधान है| इसमें 15 जून से 15 जूलाई, एक माह की अवधि के लिए 4,500 रूपये जबकि 15 जूलाई से 15 अगस्त तक शिकारमाही पर प्रतिबंध के एवज में 4,500 रूपये की दर से मछुआरों के बीच वितरण किया जाना है।

     राज्य सरकार इस योजना को लागू नहीं कर लाखों मछुआरों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न कर रही है। श्री कश्यप ने कहा है  कि बिहार जलकर प्रबंधन अधिनियम, 2006 की धारा-13 (1) के द्वारा 15 जून से 15 अगस्त तक सदाबहार नदियों में शिकारमाही प्रतिबंधित है| धारा-17 (2) के द्वारा रोक के बावजूद अगर मछुआरा नदियों में शिकारमाही करते हैं तो सरकार मछुआरों को छः माह तक का कारावास या पाँच सौ रूपयें जुर्माना अथवा दोनों से दण्डनीय होगा ऐसा अपराध संज्ञेय होगा, का प्रावधान किया गया है।

          कॉफ्फेड राज्य सरकार से मांग करती है कि मछुआरों के हित में केन्द्र प्रायोजित राहत एवं बचत योजना को यथाशीघ्र लागू करने के साथ ही तत्काल निःशुल्क शिकारमाही परिचय पत्र निर्गत किया जाय| इसके अलावा 15 जून से 15 अगस्त तक सदाबहार नदियों में शिकारमाही प्रतिबंधित किये जाने के संबंध में दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाए ताकि लाखों की संख्या में प्रभावित होनेवाले मछुआरे इस योजना का लाभ ले सकें।


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