AAP के \'करंट\' से सहमीं बिजली कंपनियां

रिपोर्ट: साभारः

अरविंद केजरीवाल की सनसनाती जीत ने दिल्ली में बिजली बिल हल्का होने की उम्मीद तो बढ़ा दी है , लेकिन तमाम घरों में बिजली पहुंचाने वाली कंपनियां आने वाले दिनों में झटके लगने के खौफ से सिहर गई हैं। वजह यह है कि केजरीवाल इन कंपनियों के बही-खातों की जांच कराने का कदम बढ़ा सकते हैं। कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि अब आम आदमी पार्टी टाटा पावर और अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की पावर डिस्ट्रीब्यूशन इकाइयों को घेर सकती है। इन अधिकारियों को पिछले साल के वे 49 दिन याद आने लगे हैं, जिस दौरान केजरीवाल ने मुकेश और अनिल अंबानी को चुनौती दी थी। हालांकि ऑन रिकॉर्ड दोनों कंपनियों ने केजरीवाल के स्वागत में बयान जारी किए हैं, दिल्ली सरकार के साथ मिलकर काम करने का वादा किया है, पीक डिमांड से निपटने की अपनी कोशिशों पर बात की है और कहा है कि वे अपने बही-खातों की कैग से चल रहे ऑडिट में सहयोग कर रही हैं। दिल्ली में सस्ती बिजली और सस्ता पानी मुहैया कराने का वादा करने वाली AAP ने कहा था कि दिसंबर 2013 में उसकी सरकार ने टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड और बीएसईएस की दो डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की ऑडिट का जो आदेश दिया था, उसे \'कोल्ड स्टोरेज\' में डाल दिया गया। AAP ने कहा था कि वह कैग ऑडिट दोबारा शुरू कराएगी। इससे टेलिकॉम, कोल और ऑयल एक्सप्लोरेशन इंडस्ट्रीज घबरा गई हैं। हालांकि, डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों का कहना है कि उनके पास पर्याप्त फंड ही नहीं है और उन्हें पिछली लागत की भरपाई करने के लिए ही टैरिफ बढ़ाकर 27,000 करोड़ रुपये रिकवर करने हैं। पिछले साल बिल क्लीयर करने के मामले में बीएसईएस का एनटीपीसी से टकराव हो गया था, जिससे दिल्ली पर ब्लैकआउट का खतरा मंडराने लगा था। इसके अलावा, कैग ने दिल्ली हाई कोर्ट से शिकायत की थी कि डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां ऑडिट में सहयोग नहीं कर रही हैं। कंपनियों ने इससे पहले किसी प्राइवेट डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी का ऑडिट करने के कैग के अधिकार पर सवाल उठाए थे। इंडिया में डेलॉयट के सीनियर डायरेक्टर देबाशीष मिश्रा ने कहा कि बिजली बिल घटाने की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा, \'AAP एक लाइफलाइन कैटेगरी बना दे। यानी 50-100 यूनिट महीना यूज करने वालों को सस्ते दाम पर बिजली दे।\'


Create Account



Log In Your Account