वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारी संगठनों से अपील की है कि वे अपनी चार दिन की प्रस्तावित हड़ताल को वापस ले लें। वित्त मंत्री ने कहा कि हड़ताल में शामिल होने की न तो कोई जरूरत है और न ही यह देश के हित में है। द्विपक्षीय मुद्दे को सुलझाने के लिए सौहार्दपूर्ण बातचीत सबसे अच्छा तरीका है। सरकारी क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर 25 फरवरी से चार दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। इसी दौरान 28 फरवरी को बजट पेश होना है। इसे देखते हुए जेटली ने बैंकों के कर्मियों से यह अपील की है कि वे व्यवधानकारी तरीके न अपनाएं और हड़ताल पर न जाएं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों की मांगों के संबंध में उनकी यूनियनों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं। इसलिए बैंक कर्मचारियों को विरोध प्रदर्शन का तरीका नहीं अपनाना चाहिए। वित्त मंत्री ने कहा कि किसी भी द्विपक्षीय मुद्दे को सुलझाने के लिए सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत सबसे अच्छा तरीका है। बैंक यूनियनों का कहना है कि बैंक अपने खातों में 15 प्रतिशत वेतनवृद्धि दिखा रहे हैं, जबकि वे कर्मचारियों के समक्ष 13 प्रतिशत की वेतनवृद्धि की पेशकश कर रहे हैं। इसलिए बैंकिंग कर्मचारियों को यह मंजूर नहीं है। बैंकिंग कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री जन धन योजना को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसके बावजूद मोदी सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है। इसलिए बैंक कर्मियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।