महंगे कर्ज का बुरा दौर खत्म

रिपोर्ट: साभारः

नई दिल्ली। केंद्र सरकार, उद्योग जगत और आम जनता की मांग को लंबे समय से दरकिनार कर रहे रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का दिल भी आखिरकार पसीज गया। उन्होंने गुरुवार की सुबह सभी को हैरत में डालते हुए रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती के जरिये शुभ दिनों की शुरुआत कर दी। यह कदम न सिर्फ होम, ऑटो लोन व अन्य कर्जो को सस्ता करने का रास्ता साफ करेगा, बल्कि इससे देश में निवेश का माहौल बनाने में जुटी मोदी सरकार की कोशिशों को भी बल मिलेगा। यही वजह है कि रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की इस घोषणा के बाद सेंसेक्स ने 729 और निफ्टी ने 217 अंक की छलांग लगाई। अब इसे पिछले दिनों एक समारोह में उनकी वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ हुई बातचीत का असर कहा जाए या महंगाई की दर के लगातार नीचे बने रहने का। कुछ भी हो, इस कदम से सरकार और उद्योग जगत बेहद खुश हैं। जेटली ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने भी ब्याज दरों में कटौती से अर्थव्यवस्था को फायदा होने की बात कही। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य और आइसीआइसीआइ बैंक की एमडी एवं सीईओ चंदा कोचर ने संकेत दिए कि उनके बैंक जल्द ही कर्ज को सस्ता कर सकते हैं। यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ने अपने बेस रेट में आधा फीसद तक की कटौती का एलान भी कर दिया। आरबीआइ ने इससे पहले मई, 2013 में रेपो रेट में चौथाई फीसद की कमी की थी। उसी साल सितंबर में गवर्नर बनने के बाद से राजन ने पहली बार ब्याज दरों को घटाने का फैसला किया है। यह भी शायद पहला मौका है जब केंद्रीय बैंक ने ऐसे दिन ब्याज दरें घटाने का फैसला किया जब 'खरमास' खत्म हो रहा है। राजन की तरफ से जारी वक्तव्य में बताया गया कि रेपो रेट आठ से घटाकर 7.75 फीसद किया गया है। इस कटौती के लिए उन्होंने निश्चित तौर पर महंगाई में लगातार हो रही नरमी को श्रेय दिया। इसके भी संकेत दिए कि आने वाले दिनों में ब्याज दरों में और कटौती होगी। इसके साथ ही उन्होंने मोदी सरकार को भी यह बताने की कोशिश की है कि उन्हें महंगाई पर लगातार नीचे रखने के लिए अभी बहुत कुछ करना है। खासतौर पर सरकार को बजट के जरिये राजकोषीय संतुलन को बेहतर करना होगा।


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