नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक के पास दिसंबर 2014 के पहले पखवाडे तक 557.75 टन सोना था और उस समय इसका बाजार मूल्य 1,176.6 अरब रुपये यानी 1,898.52 करोड डालर था. सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, देश के केंद्रीय बैंक के पास 19 दिसंबर 2014 की स्थिति के अनुसार 557.75 टन सोना था जिसमें से 265.49 टन सोना विदेश में बैंक ऑफ इंग्लैंड और अंतरराष्ट्रीय निपटान बैंक की सुरक्षित अभिरक्षा में रखा गया है. रिजर्व बैंक ने बताया कि मार्च 2014 के मूल्य निर्धारण (अमेरिकी डालर में) के अनुसार सोने का यह भंडार उसके कुल विदेशी मुद्रा भंडार का करीब 6.9 प्रतिशत रहा. इस बीच जनवरी 2015 की शुरुआत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 322.135 अरब डालर के नये शीर्ष स्तर पर पहुंच गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार रिजर्व बैंक अपनी विदेशी मुद्रा आस्तियों का निवेश मौजूदा मानदंडों के अनुसार विभिन्न मुद्राओं और विभिन्न प्रकार की आस्तियों में करता है. ये मानदंड सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरुप है. मार्च 2014 अंत की स्थिति के अनुसार उस समय उपलब्ध 276.4 अरब अमेरिकी डालर की कुल विदेशी मुद्रा आस्तियों में से 171.3 अरब अमेरिकी डालर का निवेश प्रतिभूतियों में किया गया, 89.7 अरब डालर का अन्य केंद्रीय बैंकों, अंतरराष्ट्रीय निपटान बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में जमा किया गया. शेष 15.3 अरब अमेरिकी डालर वाणिज्यिक बैंकों की विदेशी शाखाओं में रखी जमाराशियों एवं बाह्य आस्ति प्रबंधकों के पास रखे गए कोष में शामिल हैं. मुरादाबाद स्थित आरटीआई कार्यकर्ता सलीम बेग ने भारतीय रिजर्व बैंक से पूछा था कि भारत सरकार के पास कितना 'स्वर्ण भंडार' है, इसका वजन क्या है और इसका बाजार मूल्य क्या है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ नोट खरीद करार और नई उधारी व्यवस्था के तहत निवेश के बारे में आरबीआई ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की संशोधित एवं विस्तारित नई उधार व्यवस्था 11 मार्च 2011 से लागू हो गई है. इस व्यवस्था के अंतर्गत भारत, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को 874.08 करोड एसडीआर तक संसाधन उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है. आरबीआई ने बताया कि नई उधार व्यवस्था के अंतर्गत भारत सहभागी है. भारतीय रिजर्व बैंक ने नई उधार व्यवस्था के तहत मार्च 2014 के अंत तक 126.11 करोड एसडीआर के नोट खरीदे हैं.