इस नये साल के मौके पर इस सवाल पर विचार करें कि ‘मैं अपना जीवन कैसे बदल सकता हूं?’ जीवन में रूपांतरण लाने और हर तरह के हालात में आगे बढ़ते रहने के लिए आंतरिक खुशहाली की एक शक्तिशाली प्रक्रिया बता रहे हैं सद्गुरु जग्गी वासुदेव.. हर इनसान, जीवन की प्रक्रिया के द्वारा जाने-अनजाने अपनी एक खास छवि, एक खास शख्सीयत बनाता है. इस छवि का, जिसे आपने अपने अंदर गढ़ा है, असलियत से कोई लेना-देना नहीं है. इसका आपके अस्तित्व, आपकी आंतरिक प्रकृति से कोई संबंध नहीं है. यह एक खास छवि है, जो आपने खुद, बहुत हद तक अनजाने में ही, बनायी है. बहुत कम इनसानों ने अपनी छवि पूरे होशोहवास में गढ़ी है. बाकी सब तो जिस तरह के पैटर्न या बाहरी हालातों में फंसते हैं, उसके अनुसार ही अपनी छवि बना लेते हैं. इसलिए इस नये साल पर विचार करें कि हम क्यों नहीं पूरी जागरूकता के साथ अपनी एक नयी छवि बनाते हैं, जैसी छवि हम वाकई बनाना चाहते हैं? अगर आप बुद्धिमान हैं, अगर आप पूरी तरह से जागरूक हैं, तो आप अपनी छवि को नया रूप दे सकते हैं, एक बिल्कुल नयी छवि, जैसी आप चाहें. यह संभव है. लेकिन इसके लिए आपको पुरानी छवि छोड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए. यह कोई झूठा दावा नहीं है. अनजाने में काम करने के बजाय, जब आप चेतन होकर काम करते हैं, तब आप अपनी ऐसी छवि बना सकते हैं, जो आपके लिए सबसे बेहतर हो, जो आपके आस-पास सबसे अधिक सामंजस्य और तालमेल पैदा करे, जिस तरह की छवि में सबसे कम टकराव हो. आप ऐसी छवि बना सकते हैं, जो आपकी आंतरिक प्रकृति के सबसे नजदीक हो. इसलिए सबसे पहले विचार करें कि किस तरह की छवि आपको अपनी अंदरूनी प्रकृति के सबसे करीब लगती है? कृपया ध्यान रखिए, अंदरूनी प्रकृति बहुत मौन होती है, वह प्रबल नहीं, लेकिन बहुत शक्तिशाली होती है. बहुत सूक्ष्म, लेकिन बहुत शक्तिशाली. इससे पहले कि हम नये साल में अपनी कोई छवि बनाने के बारे में सोचें, हमें यह भी देखना चाहिए कि हम अब जो छवि तैयार करने जा रहे हैं, क्या वह हमारी मौजूदा छवि से बेहतर होगी? इस सवाल पर विचार के लिए कोई ऐसा समय चुनें, जब आप किसी भी वजह से अशांत न हों. पीठ पीछे टिका कर आराम से बैठें और सहज हो जायें. अब अपनी आंखें बंद करें और कल्पना करें कि दूसरे लोग आपका अनुभव कैसे करेंगे? अपने चेतन मन में एक बिल्कुल नया इनसान गढ़ें. उसे जितना संभव हो, उतनी बारीकी से देखें. देखें कि क्या यह नयी छवि अधिक मानवीय, अधिक निपुण, अधिक प्रेममय है. इस नयी छवि की कल्पना आप जितने प्रभावशाली ढंग से कर सकते हैं, करें. उसे अपने अंदर जीवंत बना दें. अगर आपके विचार खूब शक्तिशाली हैं, अगर आपकी कल्पना प्रभावशाली है, तो वह कर्म के बंधनों को भी तोड़ सकती है. आप जो बनना चाहते हैं, उसकी एक शक्तिशाली कल्पना करते हुए कर्म की सीमाओं को तोड़ा जा सकता है. यह नया साल विचार, भावना और कर्म की सभी सीमाओं से परे जाने का एक मौका है. सोचें कि जीवन के प्रति आपका क्या नजरिया होना चाहिए? ‘मुङो ऐसी नौकरी चाहिए, मुङो इतने लाख या करोड़ रुपये कमाने हैं या फिर मुङो अपने पड़ोस की सबसे सुंदर लड़की से शादी करनी है’ आदि जैसे विचारों को पीछे छोड़ कर बस अपनी मौजूदा क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान दीजिये, बाकी सभी चीजें तो अपने आप ऐसे होने लगेंगी, जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी. सबसे बड़ी बात है कि आपके जीवन का स्वरूप. यह आपके जीवन की व्यवस्था से तय नहीं होगा, बल्कि यह इससे तय होगा कि आपके भीतर क्या धड़क रहा है. अपने भीतर देखें, तो आप पायेंगे कि आपका जीवन कैसा होना चाहिए, क्योंकि जीवन भीतर से ही घटित होता है. जीवन में आप जो भी इकट्ठा करते हैं, जो व्यवस्था आप तैयार करते हैं, वह एक सामाजिक व्यवस्था का परिणाम है, न कि आपके अस्तित्व या जीवन का. इसलिए आप अपनी तुक्ष्छ इच्छाओं को जीवन का लक्ष्य मत बनाइये. इसे कोई उपलब्धि मत समङिाये कि ‘मैं नये मॉडल की कार खरीदना चाहता था और मैंने वह ले ली.’ दरअसल, यह तो होना ही था, क्योंकि बाजार आपको जीरो फीसदी ब्याज दर पर कार खरीदने के लिए कर्ज जो दे रहा है, और वह इसे आपसे आनेवाले दस वर्षो में वापस वसूल लेगा. तो सोचें कि अब तो कोई भी कार ले सकता है. कार लेना कोई बड़ी चीज नहीं है. सवाल यह भी है कि आप कार में बैठ कर क्या करेंगे? आपकी कार को देख कर जब पड़ोसी ईष्र्या करेगा, तब तो आपको अच्छा लगेगा, लेकिन अगर उनके पास आपसे बड़ी गाड़ियां हुईं, तो फिर आप बुरा महसूस करने लगेंगे. लेकिन, अगर एक इनसान के तौर पर, एक जीवन के तौर पर आप खुद को बड़ा बनाते हैं, तो फिर आप चाहे किसी शहर में हों या किसी पहाड़ पर अकेले बैठे हों, आप शानदार महसूस करेंगे. नये साल में जीवन में आगे के लिए आपका यही नजरिया होना चाहिए. योग जीवन की मौलिक प्रक्रियाओं की खोज करना है. यह सभी धर्मो से पहले अस्तित्व में आया और इसने इनसान के लिए प्रकृति द्वारा तय सीमाओं से ऊपर उठने की संभावनाएं खोलीं. यदि इनसान भरपूर लगन से प्रयास करे, तो योग की मदद से वह तमाम सीमाओं से परे जा सकता है. योग विज्ञान को इसके शुद्ध रूप में सबके लिए उपलब्ध कराना आज की पीढ़ी की बड़ी जिम्मेवारी है. आंतरिक विकास, खुशहाली और मुक्ति का यह विज्ञान आपकी ओर से भावी पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ा उपहार होगा. इस साल से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित कराने के लिए मैं माननीय प्रधानमंत्री जी को बधाई देता हूं. योग का सार ही यही है कि ‘मैं खुद को बदलने के लिए तैयार हूं.’ यह दुनिया को बदलने के लिए नहीं है, बल्कि यह खुद को बदलने की इच्छा का नाम है. इस दुनिया में असली बदलाव तभी आयेगा, जब आप खुद को बदलने के लिए तैयार हों. ये आपके भीतरी गुण ही हैं, जो आप दुनिया में बांटते हैं. आप चाहे इसे मानें या न मानें, यही सच्चाई है. आप जो हैं, वही आप सब जगह फैलायेंगे. अगर आपको दुनिया की चिंता है, तो सबसे पहले आपको खुद में बदलाव लाने के लिए तैयार रहना चाहिए. खुद को बदले बिना यदि आप कहते हैं कि ‘मैं चाहता हूं कि दूसरे सभी लोग बदलें’, तो इस हालत में केवल टकराव होगा. अगर आप खुद बदलने के लिए तैयार हैं, केवल तभी रूपांतरण होगा. यह स्व-रूपांतरण ही इनसान, समाज और देश को सच्ची खुशहाली तक ले जायेगा. यही सच्ची क्रांति है. तो क्या इस नये साल पर खुद को इस सच्ची क्रांति के लिए तैयार करेंगे आप?