Saturday, 21 December 2024, 2:31:43 am

बात-बात पर गुस्सा करने वाले पहले पढ़ें ये खबर

रिपोर्ट: साभारः

एक महात्मा थे। वह सत्संग करते और लोगों को धैर्य, अहिंसा, सहनशीलता, संतोष आदि के सदुपदेश देते। बड़ी संख्या में भक्त उनके पास आने लगे। एक बार भक्तों ने कहा, महात्मा जी, आप अस्पताल, स्कूल आदि भी बनवाने की प्रेरणा दीजिए। महात्मा जी ने ऐसा ही किया। एक दिन राजपुरुष आए और महात्मा की प्रेरणा से चल रहे कामों को देखकर खुश हुए। किंतु महात्मा की लोकप्रियता देखकर जल-भुन भी गए। उन्हें अपने भविष्य की चिंता सताने लगी। इसलिए वे इस तिकड़म में लग गए कि कैसे महात्मा की लोकप्रियता कम की जाए। अगले दिन सुबह होते ही वह महात्मा के पास पहुंचे। ज्ञान-ध्यान की बात करके उन्होंने महात्मा को एक अस्त्र अपने पास रखने के लिए यह कहकर दिया कि पता नहीं कौन आपका शत्रु हो। महात्मा ने आनाकानी की, पर जी उनका भी हो रहा था। राजपुरुष ने उनके भीतर छिपे आकर्षण को ताड़ा और कहा, आपको भले अपनी जान प्यारी न हो, हमें तो है। यह अस्त्र आपको रखना ही होगा। महात्मा ने हामी भर दी। अब वह हथियार सत्संग सभा में शान से सजा रहता। एक दिन एक विक्षिप्त-सा युवक सभा में हंगामा करने लगा। महात्मा ने उसे शांत रहने के लिए कहा, पर टोकने पर उस युवक का आवेश और भी बढ़ गया। वह जोर-से चीखा, चुप रह पाखंडी। इतना सुनना था कि महात्मा घोर अपमान से क्षुब्ध हो उठे। क्रोधावेश में आकर उस पर हथियार चला दिया। लोग हैरान रह गए! उसके बाद महात्मा जी का सत्संग वीरान हो गया और राजपुरुष की लोकप्रियता बढ़ने लगी। समझ नहीं आ रहा था कि दोष हथियार में था, राजपुरुष की साजिश में या फिर महात्मा के अपने भीतर ही।


Create Account



Log In Your Account