केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को एक माह से अधिक का समय बीत चूका है| विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता भी विफल साबित हुई है| नये कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर प्रदर्शन में शामिल किसान अड़े हुए हैं जबकि सरकार कानूनों को वापस लेने के मूड में नहीं है| शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक में फैसला लिया गया कि 4 जनवरी को किसानों और सरकार की बैठक में अगर कोई फैसला नहीं होता है तो आंदोलन को तेज करते हुए 6 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी| किसानों के आंदोलन का आज 38 वां दिन है|
किसानों की मांग का समर्थन कर रहे क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल एवं स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने कहा कि अगर 26 जनवरी तक केंद्र सरकार हमारी मांगे नहीं मानती है तो दिल्ली के अंदर प्रवेश कर किसान गणतंत्र परेड करने के लिए बाध्य होंगे| दर्शन पाल ने कहा कि 23 जनवरी को अनेक राज्यों में गवर्नर हाउस पर आक्रोश मार्च किया जायेगा|
वही केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने 4 जनवरी को होनेवाली वार्ता में किसानों का आन्दोलन खत्म होने की उम्मीद जताई है| उन्होंने कहा कि जिस सकारात्मक सोच के साथ पिछली बैठक हुई है तो मुझे आशा है कि अगली बैठक में वार्ता सफल साबित होगा और यह आंदोलन भी खत्म हो जाएगा|
गौरतलब है कि देश के कई हिस्सों के 850 से अधिक शिक्षाविदों ने नए कृषि सुधारों का समर्थन करते हुए कहा है कि ये सुधार कृषि व्यापार को प्रतिबंधों से मुक्त करने और किसानों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अपनी उपज बेचने में सक्षम बनाने का प्रयास करते हैं|