इस साल बजट को लेकर आम लोगों के साथ -साथ अर्थशास्त्रियों की नजर टिकी हुई है. नोटबंदी के बाद पेश होेने वाले इस बजट सरकार कई मह्त्वपूर्ण घोषणाएं कर सकती है. नोटबंदी के बाद उपभोग मांग और निजी निवेश को बढ़ाने का प्रयास सरकार को करना चाहिए. यह बात इवाइ के एक सर्वेक्षण में सामने आयी है. कर सलाहकार कंपनी इवाइ के एक बजट पूर्व सर्वेक्षण में 81.42 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कॉरपोरेट कर की दर को मौजूदा 30 प्रतिशत से घटा कर 25 प्रतिशत किया जाये और इसमें अधिभार एवं उप कर को अलग रखा जाये. ‘मेक इन इंडिया' को गति प्रदान करने के लिए 72 प्रतिशत लोगों को उम्मीद है कि सरकार क्षेत्र विशेष के आधार पर प्रोत्साहन और कटौतियां जारी रखेगी. हालांकि, अधिकतर उत्तरदाताओं का मानना है कि कॉरपोरेट कर की दरों को कम करने के लिए चरणबद्ध तरीके से कर छूटों को खत्म करना जरूरी है ताकि राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा किया जा सके. निजी कर दर को कम करने या संशोधित करने के प्रश्न पर सर्वेक्षण में शामिल करीब 60 प्रतिशत लोगों का मानना है कि निजी आयकर की सीमा को बढ़ा कर पांच लाख रुपये प्रति वर्ष करना चाहिए. ताकि आम आदमी के हाथ में ज्यादा पैसा पहुंचे और उपभोग वमांग में वृद्धि हो. 36% लोगों का मानना है कि शीर्ष आयकर की दर को घटा कर 25% किया जाये जो मौजूदा समय में 10 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30% है. इस सर्वेक्षण में 200 से ज्यादा मुख्य वित्त अधिकारियों, वरिष्ठ कर पेशेवरों इत्यादि के विचारों को भी शामिल किया गया है. इवाइ इंडिया के पार्टनर एवं राष्ट्रीय कर लीडर सुधीर कपाड़िया ने कहा कि हाल में बैंकिंग व्यवस्था में कोष डालना और जीएसटी को लाने की दिशा में बढना, ऐसे दो कदम हैं जो सरकार को कर आधार बढ़ाने में मदद करेंगे. सरकार को नोटबंदी के बाद नकदी की समस्या लगभग समाप्त होने के साथ आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए आगामी बजट का उपयोग प्रोत्साहन उपलब्ध कराने तथा संरचनात्मक सुधारों को आगे बढ़ाने में करने की जरूरत है. यह बात कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर प्रवीण कृष्ण ने कही. कोलंबिया यूनिवर्सिटी में राज सेंटर आन इंडियन इकनॉमिक पालिसीज' के उप-निदेशक कृष्ण ने एक साक्षात्कार में कहा कि भारत को लेकर मैं आशावादी हूं. नोटबंदी के कारण जो अस्थायी बाधा उत्पन्न हुई थी, वह पीछे रह गयी है. नोट की कमी की समस्या कम हो रही है. बजटीय प्रोत्साहन तथा मौजूदा संरचनात्मक सुधारों से उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस साल ऊंची वृद्धि हासिल करने की स्थिति में होगी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा सभी महत्वपूर्ण प्राथमिकताएं है. प्र. जोन्स हापकिन्स यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर कृष्ण ने कहा कि वह महसूस करते हैं कि मौजूदा कराधान प्रणाली (आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय व्यापार) युक्तिसंगत है और औसत कर की दरें नीचे जा सकती हैं उन्होंने कहा कि जब कर नियम जटिल होते हैं, कर चोरी की आशंका अधिक होती है. बीमा उद्योग को छूट की उम्मीद बीमा उद्योग ने आगामी आम बजट में अधिक कर छूट, इ-भुगतान पर ध्यान दिये जाने तथा अनिवार्य आवास बीमा जैसे कदमों की उम्मीद जतायी है. बीमा कंपनियों का कहना है कि इस तरह के कदमों से देश में बीमा घनत्व बढ़ाने में मदद मिलेगी. एडलवेइस तोक्यो लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक व सीइओ दीपक मित्तल ने से कहा कि हमें उम्मीद है कि निम्न कर प्रणाली और बुनियादी ढांचे पर अधिक खर्च के साथ यह बजट खपत को बढ़ाने वाला होगा. जीवन बीमा कारोबार खंड में उन्होंने एन्यूटी के लिए समान अवसर सृजित किए जाने की उम्मीद जतायी. मैक्स लाईफ इंश्योरेंस के कार्यकारी उप चेयरमैन व प्रबंध निदेशक राजेश सूद ने कहा कि सरकार आयकर कानूनों के सरलीकरण की घोषणा कर सकती है. खाद्य प्रसंस्करण में सरकार दे सकती है प्रोत्साहन सरकार बजट में चावल और चाय जैसे क्षेत्रों में लघु एवं मझोले (एसएमइ) खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को प्रोत्साहन देने तथा विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन की घोषणा कर सकती है. एक सूत्र ने कहा कि यह प्रोत्साहन ‘संपदा' नाम की योजना के जरिये मिल सकती है. इसके तहत कुल निवेश पर 35 प्रतिशत सब्सिडी दी जा सकती है. राज्यों से अनुरोध किया जाएगा कि इन इकाइयों को वैट जैसे शुल्कों से छूट दी जानी चाहिए. सरकार मिनी फूड पार्क स्थापित करने को बढ़ावा दे सकती है. लाभ उठाने के लिए चावल मिल, मसाला और चाय पत्ती प्रसंस्करण इकाइयां लगायी जा सकती है. सूत्रों ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय तथा वित्त मंत्रालय के बीच प्रस्ताव पर चर्चा जारी है. इन पार्कों के लिए एकल खिड़की मंजूरी उपलब्ध कराने की योजना है. पिछले वर्ष, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा था कि मंत्रालय लघु एवं मझोले आकार के प्रसंस्करण संकुल के विकास के लिए योजना पर काम कर रहा है. ये संकुल विशिष्ट खाद्य उत्पादन के समीप स्थापित किये जायेंगे. सरकार की ‘मेक इन इंडिया' पहल के तहत खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पर जोर है.